ज्योतिरादित्य सिंधिया वो नाम जिसे मध्यप्रदेश का बच्चा-बच्चा जनता है जी हाँ ये वो नाम है जिसने चंद रुपयों के लिये एक पार्टी से दूसरी पार्टी में छलांग लगा ली और इसके पीछे की वजह थी लालच, सत्ता की लालच, कुर्सी की लालच.
आज ज्योतिरादित्य सिंधिया के जीवन की वो 10 बातें बतायेंगे जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए –
1- 2001 में पिता माधवराव के निधन के तीन महीने बाद ज्योतिरादित्य कांग्रेस में शामिल हो गए और इसके अगले साल उन्होंने गुना से चुनाव लड़ा जहाँ की सीट उनके पिता के निधन से ख़ाली हो गई थी. वो भारी बहुमत से जीते.
2-सिंधिया परिवार मध्य प्रदेश के शाही ग्वालियर घराने से आता है और उनके दादा जीवाजी राव सिंधिया इस राजघराने के अंतिम राजा थे. सिंधिया देश के सबसे अमीर राजनेताओं में गिने जाते हैं जिनकी संपत्ति 25,000 करोड़ रुपए आंकी जाती है जो उन्हें विरासत में मिली. उन्होंने इस संपत्ति का स्रोत क़ानूनी उत्तराधिकार बताया है जिसे उनके परिवार के दूसरे सदस्यों ने अदालत में चुनौती दी है.
3-क्रिकेट के शौक़ीन ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं. वे देश के क्रिकेट संघों के संचालन को लेकर नाख़ुश रहे हैं और ख़ास तौर से स्पॉट फ़िक्सिंग मामलों को लेकर उन्होंने अपनी आपत्ति ज़ाहिर की थी.
4- जहां राहुल गांधी ने कमलनाथ को ‘अनुभवी नेता’ बताया था वहीं उन्होंने ज्योतिरादित्य को ‘भविष्य का नेता’ बताया था. जानकार मानते हैं कि चुनाव के नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे थे लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा बड़ी थी और वो प्रदेश के मुख्यमंत्री बनना चाहते थे.
5- पार्टी के भीतर ये भी चर्चा रही है कि ज्योतिरादित्य चाहते थे कि मध्य प्रदेश से पार्टी उन्हें सांसद बना कर राज्यसभा में भेजे, लेकिन मध्यप्रदेश से दिग्विजय सिंह के बाद एक बार फिर उन्हीं को या फिर प्रियंका गांधी वाड्रा को राज्यसभा के लिए नामित करने की बात होने लगी जिससे ज्योतिरादित्य की उम्मीदों पर पानी फिर गया.
6- बताया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 9 मार्च को ही अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया था लेकिन ये इस्तीफ़ा मार्च 10 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाक़ात के बाद ही सार्वजनिक किया गया है. इनसे इस्तीफ़े पर भी 9 मार्च की तारीख़ लिखी हुई है.
7- बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा में सांसद बनाने और कैबिनेट में भी अहम पद देने का वादा किया था ,जिस कारण ज्योतिरादित्य ने पार्टी के साथ दगाबाजी की।
8- 2012 में सिंधिया एक विवाद में फँसे जब वो ऊर्जा राज्य मंत्री थे. उस साल पावर ग्रिड ठप्प हो जाने से देश भर में बिजली की अभूतपूर्व क़िल्लत हो गई.
9- ज्योतिरादित्य केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकारों (2004-2014) में मंत्री रहे. 2007 में उन्हें संचार और सूचना तकनीक मामलों का मंत्री बनाया गया, 2009 में वे वाणिज्य व उद्योग मामलों के राज्य मंत्री बने और 2014 में वे ऊर्जा मंत्री बने.
10-ज्योतिरादित्य की शादी मराठा वंश के गायकवाड़ घराने में हुई है.