मध्य प्रदेश में 1000 करोड़ के विदेशी कोयले की खरीदी, प्रक्रिया फिर से शुरू…

कोल इंडिया ने कहा- मप्र अपने स्तर से ही कोयले की खरीदी करे और प्रति टन रेट घटाए, चार साल बाद होगी खरीदी

मप्र में विदेशी कोयले की खरीदी में यू-टर्न आया है। 3 सप्ताह पहले टेंडर होने के बाद केंद्र ने एक हफ्ते पहले मप्र से कहा था कि वह अपनी प्रक्रिया को रोक दे। कोल इंडिया ही खरीदी करेगा, लेकिन अब फिर से मप्र को कहा गया है कि वह टेंडर प्रक्रिया आगे बढ़ाए। जो रेट आए हैं, उन्हें कम करके कोयले की खरीदी करे।

दरअसल केंद्र का कहना है कि जो राज्य कोयले की खरीदी कर सकते हैं, करें। साफ है कि इस कवायद के बाद मप्र में 7.5 लाख टन कोयले की खरीदी का रास्ता साफ हो गया है। इसकी लागत करीब एक हजार करोड़ होगी। बिजली विभाग के सूत्रों का कहना है कि पूर्व में रेट 19 हजार 500 रुपए प्रतिटन आए हैं। इसे लेकर सप्लायर से नेगोशिएशन किया जा रहा है।

रेट कम होने के बाद दो-तीन दिन में फाइनल बिड जारी होगी। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वह कुल खपत का 20 प्रतिशत तक काेयला खरीद सकते हैं। इसी को आधार बनाकर मप्र इस साल करीब 3000 करोड़ रुपए का कोयला खरीदने की तैयारी कर रहा है।

मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी (एमपी जेनको) के एमडी मंजीत सिंह का कहना है कि मप्र के पास दोनों तरह के विकल्प हैं। वह केंद्र से भी ले सकता है और राज्य खुद भी खरीदी कर सकता है। फिलहाल नेगोशिएशन चल रहा है।

मप्र के पास दोनों विकल्प खुले… केंद्र और विदेश से खरीद सकेंगे काेयला

3000 करोड़ रुपए काेयले के आयात में लगेंगे
कुल खपत का 20% ही खरीद सकेंगे राज्य
7.50 लाख टन के लिए टेंडर हुए जारी

कोयले की खरीदी इससे पहले 2017-18 में की गई थी। करीब चार साल बाद फिर खुले बाजार से कोयला लाया जा रहा है। एमपी जेनको ने पहले फेज में 976.45 करोड़ से 7.50 लाख टन कोयले की खरीदी का टेंडर जारी किया है। टेंडर में यह शर्त भी है कि जो फर्म पहले फेज का कोयला देगी, बाद में उसी से दूसरे और तीसरे फेज का कोयला लिया जाएगा। दूसरे फेज में 7.50 लाख टन और तीसरे में बचा हुआ कोयला खरीदा जाना है।

प्रति यूनिट बिजली का भार बढ़ जाएगा

एमपी जेनकोे के पूर्व अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि बिजली के मापदंडों में ‘पास थ्रू’ का प्रावधान है। यानी कि कोयले की खरीदी का जो भार है, वह बाद में टैरिफ वृद्धि के जरिये उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

यह 90 पैसे से लेकर 1 रुपए तक हो सकता है। एमपी जेनको ने तो मप्र के विद्युत नियामक आयोग से पूछा ही नहीं। आयोग ही उपभोक्ताओं के हितों के बारे में सोचता है। मप्र में जो कोयला खरीदा जा रहा है वह देसी कोयले से कई गुना महंगा है।

5.25 लाख टन का स्टॉक

मप्र के पास इस समय 5.25 लाख टन कोयले का स्टाॅक है। अप्रैल से पहले की स्थिति के मुताबिक मई-जून में मप्र का कोयला स्टॉक बढ़ गया है। सात से आठ दिन का कोयला है। विभाग इसे अच्छी स्थिति बता रहा है।

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