नई दिल्ली : गांव के लोगों से भी पूछिए कि 302 का मतलब क्या होता है तो वे झट से बता देंगे कि हत्या का केस बनता है। हालांकि अब ऐसा नहीं होगा। जी हां, 302 और 420 जैसे चर्चित कानूनों के कोड बदलने वाले हैं। मोदी सरकार तीन नए बिल लेकर आई है जिसमें कानूनों को नए रूप में नए नंबर के साथ जगह दी गई। उदाहरण के लिए इसे आप किताब समझ लीजिए जिसके पन्ने अब कुछ आगे-पीछे हो गए हैं। सरकार का कहना है कि मौजूदा समय में अहमियत के हिसाब से ऐसा किया गया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल पेश किया है। इसमें IPC और CrPC की कई धाराओं को बदलने का प्रस्ताव रखा गया है। इस बिल में आपराधिक दंड संहिता में आमूलचूल परिवर्तन होगा। अब IPC को भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा। इसके अलावा धारा 420, 302 और 144 जैसी धाराओं को भी बदला जाएगा। भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद कौन सी धाराओं को बदल दिया जाएगा, आइए बताते हैं।
किस कानून में कितनी धाराएं
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता CrPC को रिप्लेस करेगी। इसमें अब 533 धाराएं रहेंगी। 160 धाराओं को बदल दिया गया है , 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को निरस्त किया गया है।
- भारतीय न्याय संहिता IPC को रिप्लेस करेगी। इसमें पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी। 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है।
- भारतीय साक्ष्य विधेयक Evidence Act को रिप्लेस करेगा। इसमें पहले की 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी, 23 धाराओं में बदलाव किया गया है, 1 नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त की गई हैं।
कानून प्रक्रिया को डिजिटल बनाने की कोशिश
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये तीनों पुराने कानून गुलामी की निशानियों से भरे हुए थे, इन्हें ब्रिटेन की संसद ने पारित किया था, कुल 475 जगह ग़ुलामी की इन निशानियों को समाप्त कर हम नए कानून लेकर आए हैं। कानून में दस्तावेज़ों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल, मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है। FIR से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज़ करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है।