राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के गृहनगर पोरबंदर के मुस्लिम समुदाय के मछुआरे इन दिनों अपनी आर्थिक स्थिति से बहुत परेशान हैं। हालत ये हो गई है कि स्थानीय मुस्लिम मछुआरा समुदाय के एक नेता ने गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर अपने और अपने 600 लोगों के लिए इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। पोरबंदर के अल्लारखा इस्माइलभाई थिम्मर ने अपने समुदाय की बिगड़ती आर्थिक स्थिति से तंग आकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने लोगों के लिए इच्छामृत्यु की मांग की है। गोसबारा मुस्लिम फिशरमैन सोसाइटी की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार एक विशेष समुदाय के लोगों को सुविधाएं देने ने भेदभाव कर रही है।
राजनीतिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ता ने अपने लोगों के लिए इच्छामृत्यु की मांग की है। याचिकाकर्ता के वकील धर्मेश गुर्जर का कहना है कि 2016 से गोसाबारा बंदरगाह पर नौकाओं के लंगर डालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। जिसके बाद से स्थानीय मुस्लिम समुदाय की आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई। लाइसेंस होने के बावजूद थिम्मर और उनके समुदाय के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
थिम्मर ने आरोप लगाया है कि स्थानीय अधिकारी धर्म के आधार पर मुस्लिम समुदाय के परिवारों को परेशान कर रहे हैं। जबकि हिन्दू मछुआरोँ को सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि समुदाय हमेशा राष्ट्र के प्रति वफादार रहा है और कभी भी तस्करी जैसी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं रहा है। फिर भी उनके समुदाय के साथ भेदभाव किया जा रहा है। इसलिए समुदाय के लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर इच्छामृत्यु की मांग की है।