UP के ‘कमल’ कैसे MP के नाथ हुए, आइये जानते हैं

कमलनाथ राजनीति का वो चेहरा हैं जो आज किसी परिचय के मोहताज़ नहीं जी हाँ कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में विकास की एक अलग ही कहानी लिखी है। 9 बार छिंदवाड़ा से सांसद चुने गए कमलनाथ मध्य प्रदेश की सत्ता के सिंहासन पर बैठ गए हैं। कमलनाथ 18वें व्यक्ति है जिन्हें मध्य प्रदेश का सीएम चुना गया है।
आइए जानते हैं मध्य प्रदेश से राजनीतिक रिश्ता रखने वाले UP के ‘कमल’ कैसे MP के नाथ हुए।

कानपुर की गलियों से CM बनने तक का सफर

फिलवक्त कांग्रेस विपक्ष में है, लेकिन विपक्ष की भूमिका की जिम्मेदारी कमलनाथ के कंधों पर ही है, एक तरफ वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाते हुए शिवराज सरकार को घेर रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं. साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर दोनों दलों की निगाहें टिकी हैं.

पिता चाहते थे वकील बनें कमलनाथ ।

18 नवंबर 1946 को उत्तरप्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ आज मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा हैं. उनकी शुरूआती शिक्षा कानपुर में हुई. पिता महेंद्र नाथ की इच्छा थी कि बेटा वकील बने, लेकिन कमलनाथ की किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था. कमलनाथ देहरादून स्थित दून स्कूल के छात्र रहे हैं. कहा जाता है कि दून स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही वह इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी के संपर्क में आए थे और वहीं से उनकी राजनीति में एंट्री की नींव तैयार हुई थी।

ऐसे बदली कमलनाथ की किस्मत ।

बात है 1975 की है, जब कांग्रेस बेहद कठिन दौर से गुजर रही थी. इसके बाद 23 जून 1980 को संजय गांधी की असमय मौत की खबर ने नेहरू परिवार ही नहीं बल्कि समूचे देश को झकझोर कर रख दिया था. कांग्रेस में उठापटक का दौर जारी था. यही वो वक्त था जब कमलनाथ को संजय गांधी का जिगरी दोस्त होने का फायदा मिला. क्योंकि साल 1979 में कमलनाथ को मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से टिकट दिया. यहां से चुनाव जीत कर कमलनाथ संसद पहुंचे ।

जारी है 74 साल का राजनीतिक सफर।

74 साल के हो चुके कमलनाथ का राजनीतिक सफर आज भी जारी है, 2023 में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमान कमलनाथ के हाथों में ही होगी, कमलनाथ राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी है. 2022 के चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.