नई दिल्ली: गुजरात चुनाव में आतंकवाद और बाटला हाउस एनकाउंटर का मुद्दा उठ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जोर-शोर से उठाया है। रविवार को गुजरात के खेड़ा और सूरत में चुनावी रैली करते हुए पीएम ने दोनों जगह इनका जिक्र किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास न तो शब्दों की कमी रहती है न किस्से-कहानियों की। लेकिन, लगातार दो रैलियों में वह आतंकवाद और बाटला हाउस को अपनी स्पीच में लाए। इनके बहाने उन्होंने युवाओं को याद दिलाया कि गुजरात और देश को कांग्रेस और उसके जैसे विचार रखने वाले दलों से सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे दल अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए बड़े आतंकवादी हमलों पर चुप रहते हैं। बाटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र कर पीएम मोदी ने कांग्रेस को आतंकियों का हमदर्द करार दिया। आखिर कांग्रेस से बाटला हाउस एनकाउंट का क्या कनेक्शन है? क्या हुआ था तब? पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात चुनाव में इसके जरिये कांग्रेस को कैसे घेरा है?
तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के नेताओं ने इस एनकाउंटर को फर्जी करार देकर खलबली मचा दी थी। आतंकियों को मासूम बताने से लेकर उनकी मौत पर आंसू भी बहाने की बात सामने आई थी। यहीं से सोनिया गांधी, दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद का किरदार शुरू हुआ था। दिग्विजय सिंह ने कई बार इस एनकाउंटर को फर्जी बताया। वह अपनी बात पर अड़े भी रहे। फिर जब 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव आया तो सलमान खुर्शीद ने बोला कि बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए लड़कों की तस्वीरें देखकर सोनिया गांधी भावुक हो गई थीं। खुर्शीद के इस बयान पर खूब विवाद हुआ था। जब कांग्रेस ने देखा कि मामला उलटा पड़ गया है तो खुर्शीद ने अपने बयान पर सफाई दी। खुर्शीद ने पलटी मारते हुए कहा कि उन्होंने रोने की बात नहीं कही थी।
क्या है बाटला हाउस एनकाउंटर की कहानी
बाटला हाउस एनकाउंटर की कहानी करीब 14 साल पुरानी है। 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में तीन जगह सीरियल ब्लास्ट हुए थे। करोलबाग, कनॉट प्लेस और ग्रेटर कैलाश में हुए इन सिलसिलेवार बम धमाकों में करीब 30 लोगों की जान गई थी। 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। कनॉट प्लेस के रीगल सिनेमा हॉल, इंडिया गेट और संसद मार्ग से चार बमों को पुलिस ने फटने से पहले बरामद करके डिफ्यूज किया था।