ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा और महत्व

भगवान शिव के 12 लिंग होते हैं उनमें से ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी एकलिंग है यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग मोरटक्का गांव से लगभग 14 किलोमीटर दूर बसा है यह द्वीप पर बसा है और इस द्वीप का आकार ओम के आकार का है नर्मदा नदी जो भारत में पवित्र तथा पूजनीय नदी है ओंकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से अपने आप हुआ है ओमकारेश्वर मंदिर के भीतर अनेक मंदिर हैं नर्मदा के दोनों दक्षिण और उत्तरी तट पर मंदिर है पुराणों के माने तो कोई भी तीर्थयात्री और भक्तजन भले ही सारे तीर्थ कर ले परंतु जब तक ओमकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल यहां नहीं चढ़ाता उसके तीर्थ को पूर्ण नहीं माना जाता पुराणों की मानें तो नर्मदा जी के दर्शन करने से और उन में स्नान करने से जमुना जी के 15 दिन का स्नान और गंगा जी के 7 दिन का स्नान जितना फल मिलता है

पौराणिक कथा:

राजा मान्धाता ने यहाँ नर्मदा किनारे इस पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और शिवजी के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान माँग लिया। तभी से उक्त प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के रूप में पुकारी जाने लगी। जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है। इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहाँ 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास करते हैं।

शास्त्रों की माने तो कोई भी भक्त कितने भी तीर्थ स्थल के दर्शन कर ले अगर उसने ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर अपने सभी किए हुए तीर्थों का जल नहीं चढ़ाया तो उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं ओमकारेश्वर तीर्थ के साथ नर्मदा जी का भी विशेष महत्व है शास्त्र मान्यता के अनुसार जमुनाजी में 15 दिन का स्नान तथा गंगाजी में 7 दिन का स्नान जो फल प्रदान करता है, उतना पुण्यफल नर्मदाजी के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है।