आखिर क्यों इसे कालिदास की नगरी के नाम से जाना जाता है

प्राचीन शहर उज्जैन शिप्रा नदी के तट पर स्थित है।उज्जैन विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी। इसे कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। महान कवि कालिदास के माता पिता कौन थे और उनका क्या नाम था इसकी जानकारी भी उपलब्ध नहीं है। इनकी पत्नी का नाम विद्योत्तमा बताया जाता है और कहा जाता है कि कालिदास की पत्नी एक राजकुमारी थी। जब कालिदास की शादी विद्योत्तमा से हुई थी तो विद्योत्तमा को इस बात का ज्ञान नहीं था कि कालिदास अनपढ़ हैं। लेकिन एक दिन जब विद्योत्तमा को कालिदास के अनपढ़ होने के बारे में पता चला तो उन्होंने कालिदास को घर से निकाल दिया और कालिदास को विद्वान बनने पर ही घर वापस आने को कहा। जिसके बाद कालिदास ने विद्या हासिल की और यह एक महान कवि और नाटककार बन गए।

कवि कालिदास द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध रचनाएँ

महान कवि कालिदास ने कई सारी रचनाएँ लिखी हैं लेकिन इनकी जो सबसे प्रसिद्ध रचनाएँ हैं वे महाकाव्य – रघुवंश और कुमारसंभव, खंडकाव्य – मेघदूत और ऋतुसंहार, नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम्, मालविकाग्निमित्र और विक्रमोर्वशीय है। ऐसा माना जाता है कि जो प्रथम नाटक कालिदास ने लिखा था वह मालविकाग्निमित्रम् था। मालविकाग्निमित्रम् में महान कवि कालिदास ने एक राजा अग्निमित्र की कहानी लिखी है और इस कहानी के अनुसार राजा को अपनी नौकरानी मालविका से प्यार हो जाता है और जब यह बात रानी को पता चलती है, तो वोे मालविका को जेल में बंद करवा देती हैं। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर होता है और अंत में मालविका और राजा अग्निमित्र के प्यार को दुनिया अपना लेती हैं।