एक फ्रेम में शिवराज और दिग्विजय: एक-दूसरे में सहारा ढूंढ रहे या एमपी की बदलती सियासत की कहानी है यह तस्वीर!

भोपालः ठीक एक साल पहले की बात है। राजगढ़ जिले में टेम और सुठालिया बांध के मुद्दे पर प्रभावित किसानों के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने के लिए पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह  सीएम हाउस के सामने धरने पर बैठे थे। वे कई दिनों से मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांग रहे थे, लेकिन शिवराज उन्हें समय नहीं दे रहे थे। काफी मशक्कत के बाद उन्हें समय मिला भी, लेकिन शिवराज ने फिर मुलाकात रद्द कर दी। इसी बीच शिवराज की स्टेट हैंगर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात हो गई। दोनों के बीच करीब आधे घंटे बातचीत हुई और दिग्विजय मुंह ताकते रह गए थे। बाद में इसी मुद्दे पर दिग्विजय और कमलनाथ के बीच झड़प भी हुई थी। इस घटना के एक साल बाद माहौल पूरी तरह बदल चुका है। शनिवार सुबह भोपाल एयरपोर्ट से आई यह तस्वीर तो कम से कम यही कहानी कहती है।

दरअसल, शनिवार सुबह समाजवादी नेता शरद यादव का पार्थिव शरीर दिल्ली से भोपाल आने वाला था। उन्हें श्रद्धांजलि देने कई लोग भोपाल एयरपोर्ट पहुंचे थे। इनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह भी शामिल थे। दिल्ली से विमान आने में देर हुई तो दोनों वहीं लॉन में कुर्सी लगाकर बैठ गए। दोनों के बीच काफी देर तक बातचीत हुई। इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।

जाहिर है, इस तस्वीर के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। जो शिवराज एक साल पहले दिग्विजय से मिलने तक को तैयार नहीं थे, वे उनसे अकेले में बातचीत कर रहे हों तो इसके सियासी संकेत तलाशना लाजिमी भी है। खासकर इसलिए भी कि प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। दूसरा कारण यह भी है कि बीते एक साल में जहां अपनी पार्टी में शिवराज की हालत थोड़ी डांवाडोल हुई है तो दूसरी ओर दिग्विजय और कमलनाथ के बीच दूरियों की खबरें जोर पकड़ रही हैं।

प्रदेश की राजनीति में यह चर्चा आम है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व मध्य प्रदेश में किसी नए चेहरे की तलाश में है। कहा जा रहा है कि अगले विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार बनी तो सीएम पद से शिवराज की छुट्टी हो सकती है। यह भी चर्चा चल रही है कि विधानसभा चुनाव में गुजरात फॉर्म्युला लागू करने के बहाने आने वाले दिनों में प्रदेश कैबिनेट में बदलाव किया जा सकता है। चुनाव के दौरान 30 से 40 फीसदी विधायकों के टिकट भी काटे जा सकते हैं। इनमें कई ऐसे मंत्री और विधायक भी शामिल हो सकते हैं जो शिवराज के करीबियों में गिने जाते हैं। कोई खुलकर बोल नहीं रहा, लेकिन शिवराज और उनके समर्थक इससे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

भोपाल एयरपोर्ट की यह तस्वीर दो कमजोर हो रहे नेताओं का एक-दूसरे में सहारा ढूंढने की कहानी हो सकती है। देखने वाली बात यह है कि आने वाले दिनों में इसका सियासत में क्या असर दिखता है।

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