ताप्ती नदी उद्गम स्थल – बैतूल जिले में कुल 10 विकासखंड है जिसमे से एक विकासखंड मुलताई है, यह वाही क्षेत्र है जहाँ से पवित्र पावन नदी ताप्ती का उद्गम होता है | ये स्थल पर्यटन की दृष्टि से बैतूल में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है | हिन्दू मान्यताओ के लेखो में ताप्ती नदी को भगवान सूर्य की पुत्री बताया गया है तथा इसी कारण ताप्ती को शनिदेव और यमदेव की बहन कहा जाता है | ताप्ती नदी मध्यप्रदेश से होते हुए महाराष्ट्र और गुजरात निकलकर अरब सागर में गिरती है | नर्मदा नदी के बाद ताप्ती नदी मध्यप्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नदी है | इसके उद्गम स्थल पर आपको कई प्राचीन मंदिर मिलेंगे जहाँ पर भरी मात्रा में पर्यटक और श्रद्धालु वर्षभर आते है | इस के आप का प्राकृतिक सौन्दर्य भी काफी खुबसूरत है जहाँ आप लम्बा समय बिता सकते है |
सालबर्डी की गुफाएं – सालबर्डी बैतूल का एक प्राकृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है | जो भगवान शिव को समर्पित है | यहाँ आपको कई गुफाएं देखने को मिलेगी जो जंगल के बीचो बीच है | इन्ही गुफाओ में भगवान शिव का एक छोटा सा मंदिर है भी है जिसमे भगवान शिवलिंग के रूप में विराजित है | बताया जाता है इस शिवलिंग की उत्पत्ति अपने आप ही यहाँ हुई थी | इस स्थान पर आपको प्राकृत के अद्भुत नज़ारे देखने को मिलते है, जिसमे अचंभित करने वाला दृश्य है पहाड़ी से शिवलिंग पर गिरता जल, ये जल कहा से आता है इसका कोई आज तक पता नहीं लगा पाया है | प्रकृति स्वयं भगवान शिव का यहाँ जलाभिषेक करती है | इसके अलावा यहाँ सावन मास और महाशिवरात्रि के अवसर पर बड़ी मात्रा में श्रद्धालु आते है खास कर महाशिवरात्रि के समय यहाँ एक भव्य मेले का आयोजन होता है जो 8 दिनों तक चलता है | इस मेले को देखने आस पास के जिलो और राज्यों के लोग बड़ी संख्या में आते है | शांत प्राकृतिक वातावरण से घिरा ये क्षेत्र बहुत ही खुबसूरत है यहाँ आप परिवार और दोस्तों के साथ लम्बा समय बिता सकते है |
कुकरू : एक हिल स्टेशन – बैतूल जिले की भैसदेही तहसील में स्थित कूकरु एक पहाड़ी क्षेत्र पर बसा एक गाँव है और बैतूल जिले की सबसे ऊँची चोटी है जो पूरी तरह प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण स्थान है और बैतूल में घुमने के लिए प्रमुख पर्यटन स्थल है | पहाड़ी क्षेत्र होने कारण इस क्षेत्र को लोग हिल स्टेशन के रूप में भी जानते है | यहाँ पहाड़ो पर कॉफ़ी की बड़ी मात्रा में खेती होती है जो यहाँ पर आदनी का मुख्य स्त्रोत है | अगर आप यहाँ घुमने आना चाहते है तो आप बरसात या ठण्ड के समय आ सकते है उस समय यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य अपने चरम पर रहता है कहे तो यहाँ की हरियाली देखते ही आपका मन मोह लेगी, साथ बरसात के समय यहाँ आपको पहाड़ो से गिरते छोटे छोटे झरने भी नजर आयेगे जिनका नजारा स्वर्ग की तरह लगता है |
मुक्तागिरि दार्शनिक स्थल – बैतूल जिले की भैसदेही तहसील में स्थित ये मुक्तागिरि दार्शनिक स्थल के साथ साथ एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल भी है | पहाड़ी के ऊपर बसा ये क्षेत्र जैन धर्म को समर्पित है यहाँ आपको जैन धर्म के कई प्राचीन मंदिर देखने को मिलेंगे जो 13वीं और 14वीं शताब्दी के बताये जाते है | ये स्थान मध्यप्रदेश सहित पुरे भारतवर्ष में जैनियों के तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है | यहाँ पुरे भारतवर्ष से जैन धर्म के लोग आते है साथ ही यहाँ पर्यटक भी भरी मात्रा में आते है | मंदिरों के अलावा यहाँ आपको प्राकृतिक सौन्दर्य भी देखने को मिलेगा |
बालाजीपुरम – बैतूल जिले में भोपाल नागपुर हाईवे पर स्थित ये एक दार्शनिक पर्यटन स्थल है | जो भगवान बालाजी को समर्पित है | दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली में बना ये मंदिर बहुत ही खुबसूरत है | इस स्थान को भारत का पांचवा धाम भी कहा जाता है | मंदिर का निर्माण इतना भव्य और विशाल है की आप इसे देख कर अचंभित हो जायेंगे, जिसका पता आपको इसके प्रवेश द्वार को देख कर ही लग जायेगा |
शेरगढ़ का किला – बैतूल की मुलताई तहसील से कुछ मिनिट की दुरी पर पहाड़ी पर स्थित शेरगढ़ का किला बैतूल की ऐतिहासिक विरासित है | चारो और से पहाड़ी से घिरा ये किला नदियों के बीच स्थित है | शेरगढ़ का किला आज की स्थिति में बहुत खस्ता हालत में है और खँडहर में तकदिल हो गया है | फिर भी यहाँ आकर आप इसके इतिहास से जुड़े कई तथ्य यहाँ देख सकते है | ऐतिहासिक पर्यटन के साथ साथ ये स्थान प्रकृतिक पर्यटन स्थल भी है।
सतपुड़ा बांध – तवा नदी पर सारणी में बना ये बांध बैतूल का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है | हर और से पहाड़ी से घिरा ये क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है | अधिकतर पर्यटक यहाँ बरसात के समय घुमाने आते है क्यों की इस समय नदी में जलस्तर काफी ज्यादा होता है जिसके चलते बांध से बहता पानी बहुत खुबसूरत लगता है | इस बांध में कुल 14 गेट है जिन्हें केवल बरसात के समय ही खोला जाता है | इसीलिए यहाँ आने के लिए हम आपको बरसात के समय का ही कहेंगे | आस पास के पहाड़ो पर भी बरसात के समय हरियाली अपने चरम पर होती है जिसका नजारा बहुत ज्यादा खुबसूरत नजर आता है |
पांडवकालीन गुफाएं – जैसे की नाम से ही ज्ञात हो रहा है की ये गुफाएं बहुत ही प्राचीन है | बैतूल जिले के सालबर्डी में स्थित ये गुफाएं पहाड़ो पर बनी हुई है | कहा जाता है जब पांडव अपना वनवास काट रहे तब वे इस स्थान पर ठहरे थे और अपने रहने के लिए उन्होंने यहाँ चट्टानों को काट कर गुफाओं का निर्माण किया था | एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है इसी आर्टिकल में ऊपर हम आपको सालबर्डी की गुफाओं के बारे में बता चुके है जो भगवान शिव को समर्पित थी | पहाड़ी के आस पास का प्राकृतिक सौन्दर्य बहुत ही खुबसूरत है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को बहुत भाता है गुफाओं में आपको कई प्राचीन चीज़े देखने को मिल सकती है |