जबलपुर: प्रदेश के एक गांव में अनूठी परंपरा की शुरुआत हुई। महिला दिवस पर करवाचौथ और तीज की तरह गांव के 300 पुरुषों ने सुबह स्नान किया और फिर उपवास रखा। सूर्यास्त के बाद व्रतधारी पुरुषों को उनकी पत्नी ने जल पिलाकर व्रत खुलवाया। किसी का व्रत उनकी मां और बेटी ने जल पिलाकर खुलवाया। इस दौरान गांव का नजारा भी दीपावली जैसा रहा। हर घर को दीपो की रोशनी से सजाया गया। घरों के सामने रंगोली सजाई गई। कहीं ढोलक की थाप गूंज रही थी, तो कहीं भजन गाए जा रहे थे। व्रतधारी पुरुषों ने गांव की महिलाओं, बालिकाओं और युवतियों की सुरक्षा की शपथ भी ली।
करवाचौथ और तीज की तरह गांव के पुरुषों ने सुबह स्नान किया और फिर उपवास रखा। किसी ने घर में बंदनवार लगाया तो किसी ने रंगोली बनाई। अधिकतर पुरुषों ने शाम तक पानी भी नहीं पीया। शाम होते ही गांव में उत्सव-सा माहौल हो गया। पूरा गांव दीपों की रोशनी से जगमगा उठा। भेड़ाघाट थाना प्रभारी एमडी नागोतिया के अनुसार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ग्राम आमाहिनौता में 300 पुरुषों ने करवाचौथ की तर्ज पर व्रत रखा और महिलाओं की सुरक्षा का संकल्प लिया।
अपने लिए उपवास, सोचा भी नहीं था
हमेशा महिलाएं ही पुरुषों के लिए व्रत रखती आई हैं। कभी बहन भाई के लिए, मां बेटे के लिए और पत्नी पति के लिए व्रत रखती है। ऐसा पहली बार हुआ, जब उनके बेटे, पति और भाइयों ने उनके लिए व्रत रखा। यह उनके लिए अविस्मरणीय पल है।
व्रत तोड़ा, सुरक्षा का संकल्प लिया
सूरज ढलने के बाद किसी को उसकी पत्नी ने जल पिलाकर व्रत खुलवाया, तो किसी को मां, किसी को पत्नी और किसी को बेटी ने। गांव के सभी पुरुषों ने मां-बहन, बेटी और पत्नी को उनकी सुरक्षा का वचन दिया। ग्रामीणों ने सामूहिक शपथ भी ली कि न तो वे महिलाओं पर अत्याचार करेंगे और न ही होने देंगे।