वैसे तो कुदरत का करिश्मा इतना अनोखा होता है कि इसे हम आम इंसान के लिए समझना काफी मुश्किलों भरा है. लेकिन फिर भी आज के समय में साइंस ने इतनी प्रगति कर ली है कि इस बात का पता लगाया जा चुका है, कि आखिर एक आम इंसान से जुदा ट्रांसजेंडर याने कि किन्नर का जन्म क्यों होता है.
वैसे तो आमतौर पर मनुष्य की योनि में दो तरह के इंसान होते हैं. एक महिला और दूसरा पुरुष. और उन्हीं में कुछ ऐसे भी मनुष्य होते हैं जिनमें दोनों ही तरह की योनि के गुण पाए जाते हैं. उसे हम ट्रांसजेंडर के नाम से जानते हैं.
दोस्तों, ये बात तो आप भली-भांति जानते ही होंगे की ट्रांसजेंडर लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें हम ना तो महिला की कैटेगरी में रख सकते हैं और ना ही पुरुष की कैटेगरी में. ट्रांसजेंडर लोगों में दोनों ही तरह के गुण मौजूद रहते हैं. ऊपर से तो ये पुरुष दिखते हैं लेकिन इनके अंदर महिलाओं वाले गुण मौजूद रहते हैं. कुछ ऐसे ट्रांसजेंडर होते हैं जो ऊपर से महिला नज़र आते हैं, लेकिन उनके अंदर पुरुष वाले गुण विद्यमान होते हैं.
डॉक्टर्स का मानना है कि जब महिलाएं प्रेग्नेंट होती हैंं तो पहला 3 महीना शिशु के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. और इसी दौरान पेट में पल रहे शिशु के लिंग का निर्माण होता है. और यदि इसी 3 महीने के दौरान किसी तरह की कोई घटना जैसे कि चोट लगना या महिला के द्वारा खान-पान में किसी तरह के टॉक्सिक का सेवन करना या फिर किसी हारमोनल प्रॉब्लम के कारण से पेट में पल रहे बच्चे में किसी एक लिंग का निर्माण नहीं होता, बल्कि बच्चे में दोनों ही लिंगों के गुण बन जाते हैं. इसलिए हमेशा प्रेगनेंसी के शुरुआती 3 महीनों के दौरान डॉक्टर बहुत अधिक ध्यान रखने की सलाह देते हैं. और इन 3 महीने को काफी खतरनाक बताया जाता है.
ये होते हैं किसी शिशु के ट्रांसजेंडर बनने की वजह –
- प्रेगनेंसी के शुरूआती 3 महीनों के दौरान अगर गर्भवती स्त्री को बुखार आता हो और उस दौरान उसने कोई ऐसी दवाई का सेवन कर लिया हो, जो काफी है हैवी डोज़ का हो. तो पेट में पल रहे बच्चे के ट्रांसजेंडर होने की संभावना होती है.
- प्रेगनेंसी के दौरान शुरुआती 3 महीने में महिला को किसी भी दवाई का सेवन करने से पहले निश्चित रूप से डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. नहीं तो एक गलत दवाई आपके शिशु को ट्रांसजेंडर बना सकता है.
- शुरुआती 3 महीनों में खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए. किसी भी तरह के टॉक्सिक फूड जैसे की पेस्टिसाइड वाले भोजन या फिर केमिकल ट्रीटेड भोजनों के सेवन से गर्भवती महिला को बचकर हीं रहना चाहिए.
- शुरुआती 3 महीनों के दौरान अगर किसी तरह का कोई एक्सीडेंट हो या फिर किसी तरह की बीमारी हो, तो शिशु के ऑर्गंस को नुकसान पहुंचने की पूरी संभावना रहती है. और ऐसे में आपका शिशु ट्रांसजेंडर हो सकता है.
- 15 फीसदी मामलों में जेनेटिक डिसऑर्डर को भी कारण ठहराया गया है. जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से भी शिशु के लिंग निर्धारण पर इसका प्रभाव पड़ता है.
- शिशु के ट्रांसजेंडर होने के पीछे ज्यादातर मामले इडियोपैथिक होते हैं. याने कि समय रहते इसके पीछे की वजह का पता नहीं लग पाता है.
- कोई गर्भवती महिला अगर डॉक्टर के परामर्श के बिना किसी तरह से अबोर्शन की गलत दवा का सेवन की हुई हो, तो भी उनके शिशु के ट्रांसजेंडर बनने की संभावना रहती है.
इन बातों का रखें खास ध्यान – - प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर से परामर्श के बिना किसी भी दवा का सेवन ना करें. यहां तक कि सर दर्द की दवा का भी सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह निश्चित रुप से ले लें.
- किसी भी तरह के गलत खान-पान के सेवन से बचें. हमेशा हेल्दी डाइट हींं अपने आहार में शामिल करें.
- जो महिला डायबिटीज, थायराइड या मिर्गी जैसी बीमारियों से जूझ रही होंं, उन्हें प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए.
- अगर प्रेगनेंसी के शुरूआती 3 महीनों के दौरान गर्भवती महिला को बुखार या किसी तरह की कोई तकलीफ हो, तो निश्चित रुप से डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
- प्रेगनेंसी के दौरान नशे के किसी भी पदार्थ के सेवन से खुद को बनाए रखें.
तो दोस्तों, इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप निश्चित रूप से इस बात को समझ गए होंगे, कि आखिर क्यों ट्रांसजेंडर यानी कि किन्नर का जन्म होता है. और प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी महिला को किस तरह की सावधानियों को बरतना चाहिए, जिससे की ट्रांसजेंडर यानी कि किन्नर बच्चे के पैदा होने की संभावना टल जाए.