भोपाल. राजधानी भोपाल में स्थित महावीर मेडिकल कॉलेज की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. 5 दिन पूर्व इस मेडिकल कॉलेज में ना तो डॉक्टर थे और ना ही मरीज थे लेकिन जब मीडिया ने मामले को उठाया तो अचानक से मेडिकल कॉलेज में मरीज और डॉक्टर प्रकट हो गए, इतना ही नहीं मेडिकल काउंसलिंग के छापे में जो खामियां सामने आई थी वह भी सुधर गई.
आपको बता दें कि काउंसलिंग की टीम ने ओपीडी और आईपीडी में पहुंची थी, जहां उन्हें कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही नजर आई. यहां न तो ओपीडी में पर्याप्त मरीज थे, न ही आईपीडी में भर्ती मरीज थे. 150 सीट के इस कॉलेज में महज 5 मरीज नजर आए, वे भी छोटी-मोटी बीमारी से पीडि़त थे.
अचानक पहुंची काउंसलिंग की टीम को देखकर कॉलेज प्रबंधन के होश उड़ गए. गौरतलब है कि महावीर मेडिकल कॉलेज के ट्रस्ट को एमपी के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया संभालते हैं, उनका परिवार इस ट्रस्ट के बोर्ड में विभिन्न पदों पर है. वहीं मेडिकल कॉलेज को रिटायर्ड आईएस अफसर राजेश जैन देखते हैं.
मेडिकल कॉलेज में व्याप्त खामियों को लेकर जब अखबारों में खबर छपी तो अचानक पहुंची मेडिकल काउंसलिंग की टीम ने प्रबंधन के लोगों से जब सवाल जवाब किए तो वे भी डरे सहमे हुए ऐसे जवाब दे रहे हैं जिससे साफ नजर आ रहा है कि वे सामने आई हकीकत को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं और अब जो तस्वीर दिखाने की कोशिश की जा रही है वह कहीं ना कहीं पुराने झूठ को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है.
इतना ही नहीं महावीर मेडिकल कॉलेज मैं पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और छात्रों को पढ़ाने वाली फैकेल्टी केवल कागजों में ही दर्ज पाई गई.
महावीर मेडिकल कॉलेज का 2022 में जब NMC द्वारा निरीक्षण किया गया था तब गिने-चुने मरीज मिले थे, उस स्थिति को देखते हुए NMC टीम द्वारा कॉलेज की मान्यता पर रोक लगाई गई.
इतना ही नहीं जब 3/5/23 को NMC द्वारा निरीक्षण किया गया तो मेडिकल कॉलेज द्वारा फर्जी मरीजों को भर्ती कर निरीक्षण करवाया जा रहा था. कॉलेज में काम करने वाली फैकेल्टी की अटेंडेंस बायोमेट्रिक मशीन से मैच नहीं हुई. कॉलेज प्रबंधन में काम करने वाले डॉक्टरों और सदस्यों के अन्य जिलों में क्लीनिक भी बताए जा है. कॉलेज द्वारा डॉक्टरों के नॉन प्रैक्टिस अलाउड लेने के लिए फर्जी अकाउंट भी खुलवाए गए थे.