कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को क्यों लग रहा डर, ‘सिंधिया फैक्टर’ की चिंता तो नहीं…

भोपालः शनिवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस जीत की राह पर है। अब तक के रुझानों के मुताबिक कांग्रेस को अपने दम पर स्पष्ट बहुमत मिल सकता है। रुझानों ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की चिंता बढ़ा दी है। उन्हें डर सता रहा है कि बीजेपी कर्नाटक में सौदेबाजी कर सकती है।

रुझानों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस की जीत निश्चित है। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि हार के बावजूद बीजेपी कर्नाटक में सौदेबाजी का सहारा ले सकती है। वह तोड़फोड़ के सहारे अपनी सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है।

कमलनाथ के डर का कारण करीब तीन साल पहले एमपी में हुआ राजनीतिक घटनाक्रम है जब उनकी अपनी सरकार गिर गई थी। 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद एमपी में कांग्रेस की सरकार बनाई, लेकिन 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ करीब दो दर्जन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। कमलनाथ बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा नहीं जुटा पाए और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बन गए। कांग्रेस पार्टी तभी से यह आरोप लगाती रही है कि बीजेपी ने खरीद-फरोख्त के सहारे सरकार बनाई।

कमलनाथ के डर का एक बड़ा कारण कर्नाटक कांग्रेस की मौजूदा हालत भी है, जो 2018 में मध्य प्रदेश की हालत से काफी मिलते-जुलते हैं। कर्नाटक में सीएम पद के दो बड़े दावेदार हैं- एस सिद्धारमैया और डी शिवकुमार। दोनों के बीच टिकट बंटवारे के दौरान भी मतभेद खुलकर सामने आए थे। सीएम पद को लेकर दोनों के बीच धींगामुश्ती होना भी तय है। ऐसी ही हालत 2018 में एमपी में थी। कमलनाथ और सिंधिया सीएम पद के दो बड़े दावेदार थे। आलाकमान ने कमलनाथ को चुना। सिंधिया इससे इतने आहत हुए कि सवा साल बाद पार्टी ही छोड़ दी।

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