MP : कांग्रेस में टिकट वितरण बोले कमलनाथ- जल्दी नहीं, जिसको इशारा करना था कर दिया, सियासी हलचल तेज…

भोपाल : मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। कांग्रेस, बीजेपी सहित तमाम पार्टियों में प्रत्याशियों के चयन और टिकट घोषित करने पर मंथन चल रहा है। इसी बीच पूर्व सीएम और पीसीसी चीफ कमलनाथ का बड़ा बयान सामने आया है, जिसके बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है, राजनीतिक हलकों में भी सुगबुगाहट शुरू हो गई है कि क्या कांग्रेस ने अनधिकृत रूप से प्रत्याशी तय कर दिये हैं?

जिनको इशारा करना था, कर दिया- कमलनाथ

दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियाों के बीच पूर्व सीएम और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने टिकट वितरण पर बयान देकर कांग्रेस नेताओं की दिलों की धड़कन को तेज कर दिया है, वही राजनैतिक हलकों भी हलचल तेज हो गई है।  कमलनाथ का कहना है कि ‘हमें कोई जल्दी नहीं है, जिन्हें इशारा करना था, हमने कर दिया। खबर तो ये है कि सितंबर में प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की जा सकती है।

इससे पहले कमलनाथ ने टिकट वितरण को लेकर साफ कहा था कि इस चुनाव के लिए टिकट फॉर्मूला तैयार है। टिकट के लिए तेरा- मेरा नहीं चलेगा। सर्वे एवं स्थानीय लोगों की राय के आधार पर टिकट तय किए जाएंगे। स्थानीय प्रत्याशियों को ही प्राथमिकता दी जाएगी।

कट सकते है कई विधायकों के टिकट

सुत्रों की मानें तो इस बार 20-22 विधायकों की टिकट पर संकट आ सकता है,क्योंकि इस बार सर्वे  के आधार पर पार्टी नए चेहरों को मौका दे सकती है, सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस का फोकस लगातार जिताऊ उम्मीदवारों पर बना हुआ है। संभावना जताई जा रही है कि इस बार तीन चरणों में प्रत्याशियों की घोषणा की जा सकती है। पहले चरण में बिना विरोध वाले उम्मीदवारों को नाम शामिल किया जा सकता है । कांग्रेस के 95 में से 70 विधायकों को टिकट मिलना तय माना जा रहा है।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बाद अब छिंदवाड़ा में प्रदीप मिश्रा करेंगे कथा

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बाद अब छिंदवाड़ा में पंडित प्रदीप मिश्रा कथा सुनाएंगे। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा- पंडित मिश्रा ने दो महीने पहले ही तारीख दे दी थी, उनका भी स्वागत है। ये कोई चुनावी कथा नहीं है। आगे कहा कि शास्त्री जी ने हिंदू राष्ट्र की बात नहीं की। हिंदू राष्ट्र बनाने की बात क्या है। देश में 82 फीसदी हिंदू तो हैं ही। जिस देश में इतनी बड़ी संख्या हो वहां पर इस बात की क्या आवश्यकता है? हम कहें कि यह हिंदू राष्ट्र है, यह कहने की क्या आवश्यकता है? यह तो आंकड़े बताते हैं।

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