इंदौर : मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में अपराध के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। उन अपराधों को रोकने के लिए इंदौर पुलिस भी लगातार नए-नए प्रयास करने में जुटी हुई है। वहीं अपराधियों की गतिविधियों पर भी नजर रखने के लिए पुलिस लगातार तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। हाल ही में इंदौर पुलिस द्वारा एक नई तकनीक शुरू की गई है, जिसके जरिए बदमाशों पर नजर रखी जा सकेगी।
बताया जा रहा है कि इंदौर पुलिस ने गूगल लोकेशन के साथ ही अलग-अलग तरह से 500 से ज्यादा अपराधियों को चिन्हित करने के लिए एक नई तकनीक की शुरुआत की है। इस तकनीक के चलते आरोपियों आरोपियों की 6 महीने तक की कॉल डिटेल्स निकाल कर इस बात का पता लगाया जाएगा कि उन्होंने किन-किन लोगों से बात की है।
गूगल मैप से किया जाएगा ट्रैक
इतना ही नहीं वह जिस घर में रहते हैं वहां से उनका कहां आना जाना है, यह सब गूगल मैप के द्वारा ट्रैक किया जा सकेगा। इसके लिए पुलिस ने सभी आरोपियों के घर के बाहर जियो टैगिंग करने की तैयारी की है। इस प्लान पर पुलिस पिछले 2 सप्ताह से लगी हुई है। कई घरों में जियो टैग किया जा चुका हैं।
इसको लेकर डीसीपी आदित्य मिश्रा के द्वारा बताया जा रहा है कि एक अपराधी अपराध करने के बाद अपने परिवार या दोस्तों से संपर्क करता है। पिछले छह महीनों के ऐसे अपराधियों के मोबाइल डेटा की ट्रेक करने के बाद, बदमाश के संपर्कों की एक सूची बनाई गई है और उसके विभिन्न संपर्क को ट्रैक कर दिया गया है।
इसकी मदद से आरोपी द्वारा दिए गए पते के अलावा, पुलिस के पास पांच या छह स्थान हो जाएंगे जहां किसी भी अपराधी द्वारा अपराध को करने के बाद बदमाशो को पकड़ा जा सके। उन्होंने आगे बताया कि अपराधी कभी भी सीसीटीएनएस या सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज पते पर मौजूद नहीं होते हैं।
इसलिए ऐसा हो सकता है कि वह दो घर दूर किराए के मकान में रह रहे हों, जिसका उल्लेख पुलिस रिकॉर्ड में नहीं है। इसी वजह से उन्हें ढूंढ़ पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन अब गुगल ट्रेकिंग से पुलिस को मानचित्रों पर संवेदनशील स्थानों को आसानी से पहचानने में मदद मिलेगी और गुगल टैकिंग डेटा के आधार पर बल जुटाने के लिए एक उपकरण के रूप में भी काम किया जा सकेगा।
डाटा के माध्यम से कार्य में होगी आसानी
उन्होंने बताया कि डाटा के माध्यम से पुलिस किसी विशेष क्षेत्र में अपराध की आवृत्ति की जांच करने और मानचित्रों पर संवेदनशील स्थानों को आसानी से पहचानने में सक्षम हो सकेंगे। हमने अपने कार्यालय में तीन अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है जो डेटा संकलित कर रहे हैं।
अभी तक क्षेत्र के पुलिस अधिकारी तीसरे पक्ष के एप्लिकेशन का उपयोग करके डेटा एकत्र करते हैं और उस घर के निर्देशांक एकत्र करते हैं जहां आरोपी या उसका परिवार रह रहा है और इसे कंपाइलर्स के साथ शेयर किया जाता है।
ऐसे में हर बार नए अधिकारीयों को सब नए सिरे से सीखना पड़ता है और इससे उनका कार्यभार बढ़ता है। हम बार-बार अपराध करने वालों का पूरा पृष्ठभूमि डेटा निकालने की कोशिश कर रहे हैं जो सभी अधिकारियों के लिए उपलब्ध होगा। लेकिन अभी जो नई तकनीक शुरू की जा रही है उसमें सभी जानकारियां पहले से रखी जाएगी। जिसके चलते पुलिस को भी आसानी होगी।
पहले इन आरोपियों पर रखी जाएगी नजर
डीसीपी आदित्य मिश्रा ने कहा कि जियो टैगिंग के माध्यम से हम उन घने इलाकों को देखने में सक्षम होंगे जहां आरोपियों की संख्या ज्यादा है। जब इन टैग किए गए बिंदुओं का विस्तार किया जाता है, तो अपराधियों के सभी विवरण उपलब्ध हो जाएंगे।
अभी सबसे पहले हम आदतन चाकू मारने वाले अपराधियों, ड्रग तस्करों और वरिष्ठ नागरिकों का डेटा एकत्र करने की कोशिश कर रहे हैं। जिसके बाद इसे और विस्तारित किया जाएगा, फिर इसमें और आरोपियों की जानकारी एकत्रित कर उसको भी अपलोड किया जाएगा। फिलहाल इंदौर पुलिस के द्वारा इस तरह की पहल पहली बार आरोपियों को पकड़ने के लिए और उनकी निगरानी के लिए कि जा रही है।