बॉलीवुड मुझे अफोर्ड नहीं कर सकता: महेश बाबू के बयान ने भड़काई भाषा विवाद की आग

साउथ के सुपरस्टार महेश बाबू अपने एक बयान को लेकर चर्चा में हैं. एक्टर ने हाल ही में अदिवि शेष की फिल्म मेजर के ट्रेलर लॉन्च के दौरान अपने बॉलीवुड डेब्यू को लेकर अपनी राय बताई. मीडिया संग बातचीत में उन्होंने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें अफॉर्ड नहीं कर सकती है, इसलिए वो हिंदी फिल्म में काम करके अपना टाइम बर्बाद नहीं करेंगे.  हिंदी फिल्मों के बारे में बात करते हुए महेश बाबू ने कहा- मुझे हिंदी फिल्मों से कई ऑफर्स मिलते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि वो लोग मुझे अफॉर्ड कर सकते हैं. मैं ऐसी इंडस्ट्री में काम नहीं करना चाहता, जो मुझे अफॉर्ड ही नहीं कर सकती है. 

किच्चा सुदीप और अजय देवगन से शुरू हुआ विवाद
भाषा विवाद की शुरुआत किच्चा सुदीप के ‘आर: द डेडलिएस्ट गैंगस्टर एवर’ के लॉन्च इवेंट पर दिए गए बयान से शुरू हुई। किच्चा सुदीप ने कहा था कि हिंदी अब हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है, जिस पर अभिनेता अजय देवगन ने ट्वीट करते हुए कहा था, ‘किच्चा सुदीप, मेरे भाई, अगर आपके अनुसार हिंदी हमारी मातृभाषा नहीं है तो आप अपनी मूल भाषा की फिल्मों को हिंदी में डब करके क्यों रिलीज करते हो? हिंदी राष्ट्रभाषा थी, है और हमेशा रहेगी।’ इसके बाद किच्चा सुदीप ने अपने जवाब में कहा था कि मेरी बात को गलत समझ गया है, मेरा ऐसा मतलब नहीं था।

भारत की एक ही भाषा है, वो है मनोरंजन
भाषा विवाद पर अभिनेता सोनू सूद ने भी अपनी राय रखी थी। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हिंदी को सिर्फ राष्ट्रभाषा कहा जा सकता है। भारत की एक ही भाषा है और वो है मनोरंजन। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस उद्योग से हैं। जब तक आप लोगों का मनोरंजन करेंगे, वो आपसे प्यार करेंगे, आपका सम्मान करेंगे। केवल अच्छे सिनेमा को ही स्वीकार किया जाएगा। साउथ सिनेमा, हिंदी फिल्मों के बनाने के तरीके को बदल देगा।’

लोग सारी भाषाएं नहीं समझते
एक इंटरव्यू के दौरान अनूप जलोटा ने कहा, ‘महात्मा गांधी हिंदी में बात करते थे। देश के अधिकांश लोग भी हिंदी समझते हैं। हम इस चर्चा से अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। दक्षिण भारतीय भाषाओं के साथ ही बिहारी और पंजाबी का भी सम्मान होता है, लेकिन लोग सारी भाषाएं नहीं समझते हैं। इसलिए दक्षिण भारतीय फिल्मों को डब किया जाता है।’


 साउथ स्टार्स से इनसिक्योर हैं नॉर्थ के स्टार्स
राम गोपाल वर्मा ने किच्चा सुदीप के ट्वीट को रिट्वीट किया और लिखा, ‘अजय देवगन, इस बात को कैसे साबित किया जा सकता है कि अगर आपके हिंदी ट्वीट का जवाब हम कन्नड़ में देते तो? बहुत प्यार तुम्हें, मुझे उम्मीद है कि सभी इस बात को समझ गए हैं कि नॉर्थ-साउथ कुछ नहीं है, भारत एक है। सबसे बड़ा सच यह है कि नॉर्थ स्टार्स, साउथ स्टार्स से इनसिक्योर हैं, क्योंकि कन्नड़ फिल्म केजीएफ- चैप्टर 2 ने पहले दिन ही बॉक्स ऑफिस पर 50 करोड़ का कलेक्शन कर लिया।

साउथ फिल्मों की सफलता बॉलीवुड के लिए सबक
मनोज बाजपेयी ने कहा कि मेरे जैसे लोगों को भूल जाइए, साउथ की फिल्मों ने तो मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के मेनस्ट्रीम फिल्ममेकर्स तक को डरा दिया है। वे नहीं जानते कि अब उन्हें क्या करना है। इन फिल्मों की सफलता बॉलीवुड के लिए सबक है, जिसे उन्हें जल्द ही सीखने की जरूरत है। उन लोगों में बहुत धीरज है, वह हर शॉट को ऐसे शूट करते हैं जैसे दुनिया का बेस्ट शॉट दे रहे हों। वह सब कुछ दर्शकों पर नहीं लाद देते क्योंकि वह उन का सम्मान करते हैं।

भाषा के नाम पर देश को मत बांटो
हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखने वाले सोनू निगम ने एक इवेंट में कहा कि हमारे संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। पूरे भारत में हिंदी ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हो सकती है, लेकिन राष्ट्रभाषा नहीं। लोग कहते हैं कि तमिल सबसे पुरानी भाषा है। हमें देश में नए मुद्दे शुरू करने से बेहतर है कि पुराने मुद्दों को सुलाए। देश में लोगों को भाषा को लेकर मत बांटो।

संविधान में किसी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं
अभिनेता जावेद जाफरी ने एक इंटरव्यू में कहा कि संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। पहले मुझे भी लगता था कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। लेकिन मैंने देखा कि संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं प्राप्त है। बात अनेकता में एकता की है। यही इस देश की खूबसूरती थी और है।

संस्कृत होनी चाहिए राष्ट्रभाषा
बॉलीवुड की क्वीन कंगना रणौत से जब भाषा विवाद को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगर हमें संविधान का सम्मान करना है तो हमारे संविधान ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाया है। तमिल भाषा हिंदी से भी पुरानी है, लेकिन उससे भी ज्यादा पुरानी संस्कृत है। मेरा मानना है कि संस्कृत को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना चाहिए क्योंकि वह कन्नड़, तमिल, गुजराती से लेकर हिंदी कर सब संस्कृत से  हैं।