नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2024 जैसे जैसे नजदीक आ रहा है। वैसे ही एक देश एक चुनाव को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई है। एक देश एक चुनाव को लेकर आज पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है। लोकसभा, राज्यों की विधानसभा के साथ विभिन्न निकायों के एक साथ चुनाव कराने को लेकर एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई थी। ये कमेटी आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।
कोविंद कमेटी क्या हैं
पिछले साल वन नेशन वन इलेक्शन की बात चल रहीं थी। जिसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया। जिसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बनाए गए। इसी कमेटी को कोविंद कमेटी कहा गया है। इस कमेटी में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन.के. सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप और सीनियर वकील हरीश साल्वे भी शामिल हैं। इसके साथ ही राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं।
अधीर रंजन चौधरी ने सदस्य बनने से किया इंकार
जब इस कमेटी को बनाया गया था तो इसमें लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी शामिल किया गया था। लेकिन उन्होंने कोविंद कमेटी को पूरी तरह से छलावा बताते हुए इसकी सदस्यता लेने से मना कर दिया था। बताया जा रहा हैं कि एक देश एक चुनाव में केंद्र सरकार और राज्यों के चुनाव एक साथ होंगे। लेकिन अभी इसके लिए इसका पूरा खाका क्या होगा, ये अभी तक सामने नहीं आया है।
एक देश एक चुनाव के पीछे की वजह
एक देश एक चुनाव कराने के पीछे वजह दी जाती है कि भारत में हर साल कहीं ना कहीं चुनाव होते हैं। इस चुनाव में लोकसभा से लेकर पंचायत चुनाव तक शामिल हैं। इन चुनावों को कराने के लिए बार-बार आचार संहिता को लागू करना पड़ता है। साथ ही चुनाव सही से हो सके इसके लिए सुरक्षा बलों, पुलिस और सरकारी कर्मचारियों को बार-बार ड्यूटी पर लगाना पड़ता है। कई ऐसे विकास काम है जो इन चुनाव की वजह से रूक जाते है। चुनाव में सरकार को बार-बार खर्चा करना पड़ता है। इन दिक्कतों से बचने के लिए अलग-अलग चुनावों की जगह एक बार में चुनाव करने की योजना बनाई जा रही है। सरकार के इस फैसले पर उनका प्लान क्या है इसी बारे में रिपोर्ट सौंपे जाने की बात की गई है।