भोपाल : एक तरफ जहां केंद्र सरकार 2025 तक देश को टीबी मुफ्त करने का लक्ष्य रख रही है, तो वहीं दूसरी तरफ टीबी मरीजों को समय पर दवाएं नहीं मिल रही है। यह हाल देशभर में देखने को मिल रहा है, खासतौर पर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में TB दवा की भयंकर कमी होने के कारण DOT केंद्रों में TB ग्रस्त मरीजों को दवा नहीं मिल रही है, मरिज लगातार चक्कर लगा लगाकर परेशान हो रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्हें दवाएं समय पर नहीं मिल पा रही है।
दवाएं नहीं मिलने के कारण मरीजों को आधा अधूरा या फिर दूसरी सब्टीट्यूट दवाओं का डोज लेना पड़ रहा है। यह चिंता का विषय है क्योंकि आधी अधूरी या फिर सब्टीट्यूट दवाओं का सेवन रोगियों के स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम डाल सकता है, जिससे टीबी के संक्रमण के बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है।
आपको बता दें, गैस पीड़ितों में टीबी का डर बहुत ज्यादा है। यह चिंताजनक है कि 10 अप्रैल को गैस पीड़ित संगठनों ने ACS स्वास्थ्य और कमिश्नर गैस राहत को पत्र लिखकर टीबी ग्रसित गैस पीड़ितों और उनके बच्चों के लिए दवाओं की कमी के बारे में अवगत कराया। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि टीबी से पीड़ित सभी लोगों को उचित उपचार मिले चाहे वे गैस पीड़ित हो या ना हो। टीबी एक गंभीर बीमारी है, यदि समय पर और सही तरीके से इसका इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा हो सकती है।
हाल ही में भोपाल के जेपी नगर में गैस पीड़ित एक दंपति की दो बेटियां जो टीबी से ग्रसित है। पिछले एक हफ्ते से DIG गैस राहत अस्पताल में स्थित DOT केंद्र के चक्कर लगा रही है, लेकिन उन्हें अभी तक दवा नहीं मिल पाई है। अब यहां सवाल यह उठ रहा है कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री के 2025 तक टीबी संक्रमण को खत्म करने का लक्ष्य है वह कैसे पूरा हो पाएगा? जब इतने खतरनाक और जानलेवा संक्रमण के लिए पर्याप्त दवाएं ही उपलब्ध नहीं हो पा रही है तो इस लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाएगा?