सीमित की गई चार धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की संख्या, जानें एक दिन में कितने भक्त कर सकेंगे दर्शन? पढ़ें यह खबर…

नई दिल्ली : इस साल, 10 मई, 2024 से चार धाम यात्रा की शुरुआत हो रही है, जिसके लिए श्रद्धालुओं ने पहले ही रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। यहां तक कि यात्रा शुरु होने से पहले ही 16 लाख से ज्यादा श्रद्धालु रजिस्टर कर चुके हैं, दरअसल चार धाम के रजिस्ट्रेशन इसीलिए करवाए जाते हैं जिससे सुगम व्यवस्था बनाई जा सके। इस संदर्भ में, भक्तों की संख्या को सीमित किया गया है ताकि उन्हें बिना किसी परेशानी के चार धाम की यात्रा का दर्शन करने में सहायता मिल सके।

जानिए क्या है नए नियम:

दरअसल इस बार चार धामों के दर्शन के लिए एक दिन में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित कर दिया गया है। निर्धारित मानकों के अनुसार, एक दिन में अब यमुनोत्री धाम के 9 हजार, गंगोत्री धाम के 11 हजार, केदारनाथ धाम के 18 हजार और इसके साथ ही बद्रीनाथ धाम के 20 हजार श्रद्धालु दर्शन कर पाएंगे। दरअसल इस बार सरकार ने इसमें सख्ती बरती है और बिना रजिस्ट्रेशन के किसी भी श्रद्धालु को दर्शन की अनुमति नहीं होगी।

जानिए कैसे कर सकते हैं चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन:

जानकारी के अनुसार चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करने के लिए, आपको https://registrationandtouristcare.uk.gov.in वेबसाइट पर जाना होगा। बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर में पूजा के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते हैं, जिसके लिए आपको https://badrinath-kedarnath.gov.in आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। केदारनाथ धाम के दर्शन हेलिकॉप्टर के माध्यम से करने की इच्छा है तो आप https://heliyatra.irctc.co.in वेबसाइट से हेलिकॉप्टर सेवाओं की बुकिंग कर सकते हैं।

जानें चार धाम की क्या हैं मान्यताएं:

चार धाम यात्रा के अनुसार, बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है, जो बदरीवन के नाम से मशहूर है। इस धाम में नर-नारायण पहाड़ों के बीच स्थित हैं। वहीं केदारनाथ धाम की मान्यता है कि भगवान विष्णु के नर-नारायण अवतार ने यहां पार्थिव शिवलिंग बनाया था और इसी स्थान पर भगवान शिव का प्रकट होना हुआ था। जानकारी के अनुसार गंगोत्री धाम में गंगा देवी की पूजा होती है, जहां गंगा नदी का मंदिर है। इस स्थान का नामकरण गोमुख से हुआ है। यमनोत्री धाम में यमुना नदी का उद्गम स्थल है, जहां यमुना देवी की पूजा की जाती है। जानकारी दे दें कि यमुनोत्री मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रतापशाह ने करवाया था।

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