देशभर के 200 से अधिक वाइस चांसलर ने राहुल गांधी को लिखा खुला पत्र, उनके ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई की मांग…

नई दिल्ली : 7 मई को देश में लोकसभा चुना के लिए तीसरे चरण का मतदान होने जा रहा है और इससे पहले बहुत सारे वाइस चांसलर और शिक्षाविद राहुल गांधी के ख़िलाफ़ एकजुट हो गए हैं। उन्होंने राहुल को एक खुला पत्र लिखा है और उनपर क़ानूनी कार्रवाई की माँग भी की है। ये मामला कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर दिए गए उनके बयान से जुड़ा है।

देशभर के वाइस चांसलर्स ने राहुल गांधी को लिखा खुला पत्र

बता दें कि राहुल गांधी ने कुलपतियों पर टिप्पणी की थी कि विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति अब संघ से उनके रिश्ते के आधार पर की जा रही है। उन्होंने कहा था कि आरएसएस के लोगों को इन पदों पर भरा जा रहा है और अब इसके लिए उनकी योग्यता नहीं आरएसएस से उनके संबंध के आधार पर फ़ैसला हो रहा है। इसके बाद अब 200 से अधिक वाइस चांसलर और शिक्षाविदों ने उनके नाम खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि ‘कुलपतियों के चयन की प्रक्रिया में योग्यता, विद्वत्तापूर्ण विशिष्टता और ईमानदारी के मूल्यों पर आधारित कठोर, पारदर्शी कठोर प्रक्रिया की विशेषता है। चयन पूरी तरह से अकादमिक और प्रशासनिक कौशल पर आधारित है और विश्वविद्यालयों को आगे ले जाने की दृष्टि से किया गया है।’ पत्र में लिखा गया है कि राजनीतिक लाभ पाने के लिए राहुल गांधी कुलपतियों को बदनाम कर रहे हैं। इसी के साथ उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की माँग भी की गई है।

पत्र का मजमून

इस पत्र में लिखा गया है कि ‘ मशालधारियों को जलाया जा रहा है। कांग्रेस नेता श्री राहुल गांधी के ट्वीट और खुले स्रोतों से हमारे संज्ञान में आया है कि कुलपतियों की नियुक्ति योग्यता और योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि केवल किसी संगठन से संबद्धता के आधार पर की जाती है, जिससे उस प्रक्रिया की योग्यता पर सवाल उठता है जिसके माध्यम से कुलपतियों की नियुक्ति की जाती है। हम इस तरह के दावों को स्पष्ट रूप से खारिज करते हैं। कुलपतियों के चयन की प्रक्रिया में योग्यता, विद्वत्तापूर्ण विशिष्टता और ईमानदारी के मूल्यों पर आधारित कठोर, पारदर्शी कठोर प्रक्रिया की विशेषता है। चयन पूरी तरह से अकादमिक और प्रशासनिक कौशल पर आधारित है और विश्वविद्यालयों को आगे ले जाने की दृष्टि से किया गया है। हमारे बीच प्रस्तुत शैक्षणिक विषयों और पेशेवर अनुभवों की श्रृंखला चयन प्रक्रिया की निष्पक्ष और समावेशी प्रकृति का प्रमाण है। यह एक ऐसा माहौल बनाने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है जो विविधता को महत्व देता है और बढ़ावा देता है, स्वतंत्र सोच को प्रोत्साहित करता है और शैक्षणिक उपलब्धि का समर्थन करता है।’

‘ज्ञान के संरक्षक और शिक्षा जगत के प्रशासक के रूप में, हम शासन की ईमानदारी, नैतिक व्यवहार और संस्थागत ईमानदारी के उच्चतम स्तर को बनाए रखने के लिए एक अटूट प्रतिबद्धता बनाए रखते हैं। हम सभी संबंधित हितधारकों से उत्पादक चर्चा और सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं, क्योंकि हम अपने देश में उच्च शिक्षा के प्रक्षेपवक्र को परिभाषित करने के लिए सहयोगात्मक रूप से प्रयास करते हैं। हम सभी संबंधित व्यक्तियों से दृढ़तापूर्वक आग्रह करते हैं कि वे तथ्य और कल्पना के बीच अंतर करने में विवेक का प्रयोग करें, निराधार अफ़वाहें फैलाने से बचें और संवाद में भाग लें जो सुविचारित, रचनात्मक और गतिशील तथा समावेशी शैक्षिक वातावरण बनाने के हमारे साझा लक्ष्य का समर्थन करता हो। हम उच्च शिक्षा के क्षेत्र में योग्यता, ईमानदारी और उत्कृष्टता के सिद्धांतों के प्रति अपने दृढ़ समर्पण की पुष्टि करना चाहते हैं। एक सामूहिक पहल के रूप में, आइए हम सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक और उन्नति के सूत्रधार के रूप में अपने शैक्षिक प्रतिष्ठानों के प्रभाव को अधिकतम करने के लिए लगातार प्रयास करें।’

पत्र के दूसरे पेज पर लिखा गया है ‘भारत के विश्वविद्यालयों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जैसा कि वैश्विक रैंकिंग में वृद्धि, प्रमुख मान्यताएँ, विश्व स्तरीय शोध और नवाचार, पाठ्यक्रम में बदलाव, उद्योग और अकादमिक अंतर को कम करना और उच्च प्लेसमेंट की संभावनाओं से स्पष्ट है, जो अकादमिक गुणवत्ता और सामाजिक प्रासंगिकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। देश भर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के कुलपति और अकादमिक नेता पूरी दृढ़ता के साथ चयन प्रक्रिया के संबंध में हाल ही में प्रसारित किए गए निराधार आरोपों का जवाब देते हैं और उनका खंडन करते हैं। इस तथ्य को देखते हुए कि श्री राहुल गांधी ने झूठ का सहारा लिया है और राजनीतिक लाभ उठाने के इरादे से कुलपति कार्यालय को बदनाम किया है। इसलिए, यह ईमानदारी से प्रार्थना की जाती है कि कानून के अनुसार उनके खिलाफ तुरंत उचित कार्रवाई की जाए।’ इसी के साथ इसमें देशभर के 200 से अधिक वाइस चांसलर्स और शिक्षाविदों के हस्ताक्षर भी हैं और राहुल गांधी परा क़ानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है।

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