मध्य प्रदेश सरकार जनता को बिजली ना देकर बल्कि बिजली बेच रही

गांव और शहरों में 3 से 6 घंटे की बिजली कटौती हो रही है, लेकिन राज्य सरकार ने अप्रैल महीने में ही 1 करोड़ 37 लाख यूनिट (13.7 मेगावाट) बिजली खुले बाजार में बेच दी। यदि यह बिजली नहीं बेची जाती तो गांव में तीन हॉर्सपावर बिजली उपयोग करने वाले 50 हजार किसानों को एक महीने तक बिजली मिल जाती। स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर जबलपुर की रिपोर्ट के अनुसार 16 मई के आंकड़े बता रहे हैं कि 11900 मेगावाट आपूर्ति की हुई, जबकि 1500 से 2000 मेगावाट की कटौती की गई।

इतना ही नहीं, फिक्स चार्ज बचाने के नाम पर भी 1000 मेगावाट बिजली गुजरात के लिए सरेंडर कर दी है। इससे फिक्स चार्ज के 190 करोड़ रुपए बचे हैं। खरगोन एनटीपीसी पावर स्टेशन की 330 मेगावाट बिजली गुजरात के लिए 30 जून तक सरेंडर है। मोदा एनटीपीसी नागपुर की 368 मेगावाट बिजली गुजरात के लिए 5 साल तक सरेंडर है और महाराष्ट्र को जाने वाली सोलापुर एनटीपीसी की 295.88 मेगावाट बिजली भी इस सूची में शामिल है, जिसे 15 जून तक सरेंडर किया गया है।

पश्चिम क्षेत्र के 7 राज्यों में मप्र इकलौता है, जिसने खुले बाजार में बिजली बेची और सरेंडर की। एमपीईबी के अलावा मप्र में बिजली पैदा कर रहीं निजी पावर कंपनियों ने भी एग्रीमेंट नहीं होने की सूरत में 6.51 करोड़ यूनिट बिजली खुले बाजार में बेची। यानी अप्रैल 2022 में कुल 7.88 करोड़ यूनिट बिजली मप्र से बेची गई।

दावा 23900 मेगावाट क्षमता का, उत्पादन का सच

थर्मल- 5400 मेगावाट (830 मेगावाट की सतपुड़ा की बंद इकाई के साथ)

उत्पादन- 3700 मेगावाट लगभग

एनटीपीसी- 4000 मेगावाट
उत्पादन- 3000 मेगावाट

निजी विद्युत कंपनियां- 3200 मेगावाट
उत्पादन- 2500 मेगावाट

नाभकीय ऊर्जा- 340 मेगावाट
उत्पादन- पूरा

जल विद्युत- 2346 मेगावाट
उत्पादन- 700-800 मेगावाट

सोलर पॉवर- 1500 मेगावाट
उत्पादन- 1000-1200 मेगावाट

पवन- 2370 मेगावाट
उत्पादन- 1200-1300 मेगावाट

यदि यह बिजली नहीं बेची जाती तो… 3 हॉर्सपावर बिजली उपयोग करने वाले 50 हजार किसानों को एक महीने तक बिजली मिल जाती

मप्र इकलौता राज्य, जिसने 30.28 करोड़ यूनिट दूसरे राज्यों को दे दी