भोपाल : मध्य प्रदेश सरकार ने इंदौर से उज्जैन और पीथमपुर के बीच मेट्रो रेल सेवा की सौगात देने की योजना बनाई है। वहीं इसी कड़ी में दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) को इस परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जानकारी के अनुसार यह परियोजना कुल 84 किलोमीटर की दूरी को कवर करेगी, जिसमें इंदौर-उज्जैन और इंदौर-पीथमपुर दो कॉरिडोर शामिल हैं।
डीपीआर की जिम्मेदारी
दरअसल डीएमआरसी ने तकनीकी सलाहकार के रूप में डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी ली है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि डीएमआरसी श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन-नानाखेड़ा बस स्टैंड से लवकुश चौराहा, इंदौर तक डीपीआर तैयार करेगी। इसके अलावा, मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने इस संदर्भ में एक पत्र जारी किया है, जिसमें डीएमआरसी को इस परियोजना पर कार्य शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
सिंहस्थ 2028 से पहले होगा काम
बता दें राज्य सरकार ने पहले ही घोषणा की थी कि सिंहस्थ 2028 से पहले इंदौर और उज्जैन शहरों के बीच मेट्रो रेल लाइन बिछाई जाएगी। सिंहस्थ हर 12 साल में उज्जैन में आयोजित होने वाला एक विशाल हिंदू समागम है, जिसे ध्यान में रखते हुए यह परियोजना महत्वपूर्ण है। यह मेट्रो लाइन न केवल सिंहस्थ में आने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान करेगी बल्कि दोनों शहरों के बीच यातायात को भी सुगम बनाएगी।
इस मेट्रो रेल परियोजना से कई लाभ होंगे, जिनमें शामिल हैं:
यातायात का सुगम प्रबंधन: यह मेट्रो लाइन इंदौर, उज्जैन और पीथमपुर के बीच यातायात को सुगम बनाएगी, जिससे लोगों को आवागमन में आसानी होगी।
पर्यावरण संरक्षण: मेट्रो रेल परियोजना पर्यावरण के लिए भी लाभदायक होगी, क्योंकि यह प्रदूषण को कम करने में मदद करेगी।
आर्थिक विकास: इस परियोजना से क्षेत्रीय आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह व्यापार और उद्योगों के लिए नए अवसर प्रदान करेगी।
पर्यटन को बढ़ावा: उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थलों के कारण पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।