कोरोना महामारी के बाद यूरोपीय देशों में मंकीपॉक्स का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। अब तक यूरोप के 9 देशों के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं। मंकी पॉक्स के बढ़ते खतरे के बीच अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मध्य प्रदेश में भी विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं।
मध्य प्रदेश में मंकी पॉक्स को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के सीएमएचओ को इसकी निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही विदेश से आने वाले यात्रियों और संदिग्ध लक्षणों वाले मरीजों के सैंपल एनआईवी पुणे भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इंदौर, भोपाल सहित प्रदेश के एयरपोर्ट्स पर मॉनिटरिंग शुरू की गई है।
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर जिमी व्हिटवर्थ ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा है कि कोरोना महामारी के कारण बहुत समय तक इंटरनेशनल ट्रैवलिंग बंद थी। अब एकदम से पाबंदियां हटने के बाद लोगों का अफ्रीकी देशों में आना-जाना हो रहा है। शायद इसलिए मंकी पॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं।
भारत सरकार ने मंकीपॉक्स से संबंधित लक्षण दिखने पर यूरोप और अफ़्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों की पहचान करने और उनके नमूने एकत्र करने के निर्देश दिए हैं। इन नमूनों को जाँच के लिए प्रयोगशाला में भेजने को कहा गया है। वहीं मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों के नमूने जाँच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुक्रवार को एक इमरजेंसी बैठक भी की। बैठक में मंकीपॉक्स के बढ़ रहे मामलों पर विस्तार से चर्चा की गई और मंकीपॉक्स को महामारी घोषित करने पर भी विचार किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि मंकीपॉक्स का दौर कोरोना की तरह लबा खींचने वाला नहीं है। इस वायरस का संक्रमण भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से नहीं होता है। इस वायरस के चपेट में आने वाले व्यक्ति में बुखार, दर्द और थकावट की शिकायत होती है। मंकीपॉक्स शुरुआत में चेचक या खसरे जैसा दिखता है। 2 से 3 बाद इसका त्वचा पर असर नजर आता है। हाथ-पैर, हथेली, पैर के तलवे और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। ये दाने घाव जैसे दिखते हैं।