भोपाल : भाजपा हमेशा ही किसी भी तरह की गुटबाज़ी या अंदरूनी असंतोष की बात से इनकार करती आई है। बल्कि इस मामले में वो कांग्रेस को घेरती रही है। लेकिन गाहें-बगाहे कुछ वाक़ये ऐसे हो ही जाते हैं, जब अंदर की बातें बाहर झलक जाती हैं। कहते हैं न..कई बार कुछ संकेत ही काफ़ी होते हैं..तो ऐसा ही संकेत एक पूर्व विधायक ने दिया है।
सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक की सोशल मीडिया पोस्ट वायरल
दरअसल, पूर्व विधायक जयपाल सिंह जज्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक पोस्ट की है। इसमें उन्होंने सड़कों के प्रस्ताव को लेकर केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी से उनकी मुलाक़ात का ज़िक्र और तस्वीरें शेयर की हैं। यहाँ तक तो सब ठीक है..लेकिन इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि ‘श्रीमंत’ के नेतृत्व में ज़िले की सड़क के प्रस्ताव को लेकर माननीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी से भेंट की। वे आगे लिखते हैं ‘महाराज हैं तो मुमकिन है’।
‘महराज हैं तो मुमकिन है’
अब तक बीजेपी में खुले तौर पर ‘मोदी है तो मुमकिन है’ का नारा सुनाई देता रहा है। लेकिन उसके समानांतर ‘महाराज हैं तो मुमकिन है’ वाली बात एक बार फिर सिंधिया ख़ेमे की प्रतिबद्धता को ज़ाहिर करती है। सब जानते हैं कि महाराज संबोधन ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए सुरक्षित है और बीजेपी में उनके वफ़ादारों की संख्या काफ़ी है। 2020 में जब वे कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए तो उनके साथ बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी चले आए थे। जयपाल सिंह जज्जी भी खुले तौर पर सिंधिया समर्थक हैं और पार्टी से ज़्यादा उनकी निष्ठा ‘महाराज’ के प्रति झलकती रहती है। अब उनकी इस पोस्ट से एक बार फिर ये बात साफ़ हो गई है कि सिंधिया समर्थकों के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और बाक़ी सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण महाराज हैं।
बीजेपी की गुटबाज़ी पहले भी आ चुकी है बाहर
हालाँकि..’बाहरी लोगों’ के आने और उन्हें ज़्यादा तवज्जो और पद दिए जाने को लेकर बीजेपी के पुराने समर्पित कार्यकर्ताओं-नेताओं का असंतोष और ग़ुस्सा कई बार सामने आ चुका है। हाल ही में निमाड़ के क़द्दावर आदिवासी नेता नागर सिंह चौहान ने कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए रामनिवास रावत को वन और पर्यावरण मंत्रालय आवंटित किए जाने पर पार्टी छोड़ने की धमकी दी थी। इससे पहले अजय विश्नोई, गोपाल भार्गव जैसे बड़े नेता भी अपनी नाराज़गी जता चुके हैं। अब इस सोशल मीडिया पोस्ट के बाद एक बार फिर सुगबुगाहट होने लगी है कि बीजेपी में अंदरूनी गुटबाज़ी और खेमेबाज़ी जारी है।