नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नियमों का उल्लंघन करने पर 5 बैंकों पर भारी जुर्माना लगाया है। इनमें से दो बैंक गुजरात और 3 महाराष्ट्र के हैं। इस कार्रवाई की जानकारी आरबीआई ने प्रेस विज्ञप्ति के जरिए दी है। यह एक्शन केन्द्रीय बैंक ने बैंकिंग रेगुलेशन एक्शन 1949 की धारा 47 A(1) (c), 46 4 (i) और 56 की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए लिया है।
इस लिस्ट में महाराष्ट्र का नासिक जिल्हा महिला सहकारी बैंक लिमिटेड, शिक्षक सहकारी बैंक लिमिटेड (नागपुर) और महाराष्ट्र नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड शामिल हैं। वहीं गुजरात के द गांधीधाम मर्केंटाइल कॉ-आपरेटिव बैंक लिमिटेड (कच्च) और द कॉ-आपरेटिव बैंक ऑफ राजकोट लिमिटेड पर भी आरबीआई का डंडा चला है।
आखिर क्यों उठाया Reserve Bank Of India ने यह कदम?
- 9 अगस्त के एक आदेश द्वारा आरबीआई ने द गांधीधाम मर्केंटाइल कॉ-आपरेटिव बैंक लिमिटेड (कच्च) पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। वैधानिक निरीक्षण के दौरान यह पता चला था कि बैंक एक ऐसे ट्रस्ट को दान देने दान दे रहा है, जिसमें बैंक के निदेशक या निदेशकों की रिश्तेदार रुचि रखते हैं। आरोप साबित होने के बाद बैंक पर मौद्रिक जुर्माना लगाने का निर्णय लिया गया।
- गुजरात के राजकोट में स्थित को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ़ राजकोट लिमिटेड पर आरबीआई ने केवाईसी से संबंधित नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में 8 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई है। इस बैंक ऐसे संस्थाओं के बचत खाता बनाए रखे थे, जिनकी संपूर्ण आय आयकर अधिनियम 1961 के अंतर्गत आयकर के भुगतान से मुक्त नहीं थी। साथ ही निर्धारण आवधिकता के अनुसार केवाईसी का जोखिम अद्यतनिकरण करने में भी विफल रहा
- शिक्षक सहकारी बैंक लिमिटेड, नागपुर पर एकल और समूह उधरकर्ताओं के लिए जोखिम की सीमाओं पर आरबीआई द्वारा जारी कुछ निर्देशों का अनुपालन न करने के आरोप में 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
- महाराष्ट्र के नासिक जिल्हा महिला सहकारी बैंक लिमिटेड पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस बैंक ने निर्धारित समय अवधि के भीतर जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में पत्र राशि हस्तांतरित नहीं की। आरोप साबित होने के बाद केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है।
- महाराष्ट्र नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, लातूर पर मान्यता और परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों पर आरबीआई द्वारा जारी कुछ निर्देशों का अनुपालन न करने के आरोप में 2 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। यह बैंक कुछ ऋण खातों को वर्गीकृत करने में सफल रहा। जिसके परिणाम स्वरुप परीसंपत्ति वर्गीकरण में विचलन और निर्धारित समय अवधि के भीतर जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में पात्र राशि हस्तांतरित नहीं हो पाई।
क्या ग्राहकों पर भी पड़ेगा असर?
आरबीआई के मुताबिक बैंक के खिलाफ की गई कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है। इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल उठाना नहीं है। इस मौद्रिक दंड का लगाया जाना RBI द्वारा बैंक के खिलाफ शुरू की गई जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है।