राहुल गांधी की ‘भारत डोजो यात्रा’ पर मायावती ने साधा निशाना, कहा ‘पेट भरे लोगों का शगल’

नई दिल्ली : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरूवार को नेशनल स्पोर्ट्स डे पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक थ्रोबैक वीडियो शेयर किया। इसमें वो जापानी मार्शल आर्ट जिउ-जित्सु की प्रैक्टिस करते नज़र आ रहे हैं। इस वीडियो के साथ उन्होंने लिखा कि जल्द ही ‘भारत डोजो यात्रा’ निकलने वाली है। इसे लेकर अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने उनपर निशाना साधा है।

क्या राहुल गांधी एक और यात्रा निकालने जा रहे हैं। हाल ही में उनके मैसेज से जो यही संकेत मिल रहा है। ‘डोजो’ आमतौर पर मार्शल आर्ट के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर या स्कूल को कहा जाता है। इसकी दो ख़ास विधाएँ हैं जिन्हें जिउ-जित्सु (JIU-JUTSU) और ऐकिडो (Aikido) कहते हैं। आमतौर पर जापानी मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन अब मायावती ने इसे लेकर कांग्रेस को घेरा है।

मायावती ने कांग्रेस को घेरा

मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा है कि ‘पेट भरे लोगों के लिए दोजा व अन्य खेलकूद के महत्व से किसी को इंकार नहीं, लेकिन गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि के त्रस्त जीवन से जूझ रहे उन करोड़ों परिवारों का क्या जो पेट पालने हेतु दिन-रात कमरतोड़ मेहनत को मजबूर हैं। ’भारत डोजो यात्रा’ क्या उनका उपहास नहीं? केन्द्र व राज्य सरकारें देश के करोड़ों गरीबों व मेहनतकश लोगों को सही व सम्मानपूर्वक रोटी-रोजी की व्यवस्था कर पाने में अपनी विफलता पर पर्दा डालने के लिए उनसे भूखे पेट भजन कराते रहना चाहती है, किन्तु विपक्षी कांग्रेस का भी वैसा ही जनविरोधी रवैया जनता को कैसे गवारा संभव है? कांग्रेस एवं इनके इण्डी गठबंधन ने आरक्षण व संविधान बचाने के नाम पर एससी, एसटी व ओबीसी का वोट लेकर अपनी ताकत तो बढ़ा ली, किन्तु अपना वक्त निकल जाने पर उनके भूख व तड़प को भुलाकर उनके प्रति यह क्रूर रवैया अपनाना क्या उचित? खेल का राजनीतिकरण हानिकारक जो अब और नहीं।’

क्या है डोजो!

डोजो का अर्थ है मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण स्थल या स्कूल। यह वह जगह होती है जहां मार्शल आर्ट के छात्र शारीरिक और मानसिक विकास के लिए प्रशिक्षण लेते हैं। डोजो में प्रशिक्षण केवल लड़ने की कला सीखने तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह जीवन के विभिन्न पक्ष में संतुलन साधने की कला, अनुशासन और आत्म-संयम भी सिखाता है। राहुल गांधी की इस यात्रा का एक प्रतीकात्मक अर्थ यह भी हो सकता है कि वे आत्मविकास, मानसिक संतुलन और अनुशासन के महत्व को समझने और आत्मसात करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

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