भोपाल : पूर्व मंत्री और पाटन से बीजेपी विधायक अजय विश्नोई अब सोशल मीडिया के ज़रिए मध्य प्रदेश सरकार से बात कर रहे हैं। बात क्या..सीधे सीधे उलाहना दे रहे हैं। मामला उनके बेटे द्वारा प्रदेश सरकार को दिए गए एंबुलेंस एप के सुझाव से जुड़ा है और इसे लेकर उन्होंने उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला से अपने बेटे की पैरवी की है। उन्होंने कहा है कि उनका डॉक्टर बेटा जोकि जबलपुर आईएमए का अध्यक्ष भी है, ने सरकार को एक एंबुलेंस एप बनाने का सुझाव दिया है लेकिन अब तक मध्य प्रदेश सरकार ने इस सुझाव को लेकर कोई पहल नहीं की है। लेकिन सवाल ये उठता है कि ये सारी बातें सोशल मीडिया के माध्यम से क्यों हो रही है ? क्या वास्तव में पार्टी में पुराने नेताओं की अनदेखी हो रही है।
दरअसल, अजय विश्नोई लंबे समय से पार्टी से नाराज़ चल रहे हैं और एक बार फिर इस पोस्ट में उनकी नाराज़गी झलक रही है। आख़िर क्या वजह है कि इतने वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री को सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार से संवाद की ज़रूरत आ पड़ी है। फ़िलहाल ये पोस्ट चर्चाओं में है।
अजय विश्नोई की सोशल मीडिया पोस्ट
अजय विश्नोई ने एक्स पर लिखा है कि ‘मेरा बेटा अविजित डॉक्टर है, जबलपुर IMA का अध्यक्ष है और विचारशील भी है। एंबुलेंस के माध्यम से निजी अस्पतालों द्वारा मरीज़ों की छीना झपटी और लूट को रोकने के लिए अविजित ने मोहन सरकार को एक एंबुलेंस एप बनाने का सुझाव दिया है। एंबुलेंस एप ओला उबर एप की तरह काम करेगा मरीज उस एप के माध्यम से अपनी सुविधा के अस्पताल जाने के लिए एंबुलेंस बुक करेगा। दोनो के बीच हो रही बातचीत भी रिकॉर्ड होगी। एंबुलेंस को इस एप पर रजिस्टर होने के लिए एंबुलेंस में उपलब्ध सुविधाओं के नियम और किराया भी निर्धारित होगा। डॉक्टर अविजित विश्नोई के इस सुझाव पर मध्य प्रदेश सरकार ने अभी तक कोई पहल नहीं की है। उम्मीद करता हूं श्री राजेंद्र शुक्ला जी जो स्वास्थ्य मंत्री के साथ साथ उप मुख्यमंत्री भी है जल्द ही कोई सकारात्मक कदम उठाएंगे।’
क्या पुराने नेता-कार्यकर्ता पार्टी से नाराज़ हैं ?
बता दें कि इससे पहले भी अजय विश्नोई सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए अपनी नाराज़गी और असंतोष ज़ाहिर करते रहे हैं। कुछ समय पूर्व उन्होंने बिना नाम लिए ‘बीजेपी के एक नेता’ पर तंज़ कसा था। हालाँकि, भले ही उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका किससे मतभेद है ये बात किसी से छिपी नहीं है। और सिर्फ़ विश्नोई ही नहीं, बीजेपी में पिछले कुछ समय से कई पूर्व मंत्री, वरिष्ठ नेता और पुराने कार्यकर्ता दल बदलकर आए लोगों को तरजीह दिए जाने से आहत हैं और समय समय पर इसे लेकर अपना विरोध भी जताते रहते हैं। पार्टी के कई पुराने समर्पित नेता-कार्यकर्ताओं का कहना है कि दूसरों दलों से आए लोगों को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है और उनकी अनदेखी हो रही है। अब एक बार फिर ये बात सामने आ गई है क्योंकि अगर इतने वरिष्ठ नेता को अपनी ही सरकार तक बात पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेना पड़े, तो इनके बीच के मतभेद और मतभेद साफ़ झलक जाते हैं।