देशभर के 35000 रेलवे स्टेशन मास्टर 31 मई को एक दिवसीय हड़ताल पर जाने वाले हैं जिसके कारण रेल यातायात प्रभावित हो सकता है। दरअसल रेलवे स्टेशन मास्टर विभिन्न मांगों को लेकर जिनमें सितंबर 2020 से बंद रात्रि ड्यूटी भत्ता की बहाली, स्टेशन मास्टर के रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती, सुरक्षा और तनाव भत्ता प्रदान करना, पुरानी पेंशन योजना,रेलवे के निजीकरण को रोकना जैसी अन्य मांगों को लागू करना शामिल है।
अखिल भारतीय स्टेशन मास्टर संगठन के जोनल अध्यक्ष धर्मवीर सिंह अरोड़ा ने बताया कि हम शांतिपूर्ण गतिविधियों के माध्यम से अपनी मांगों को प्रस्तुत करते रहे हैं, हमने अक्टूबर 2020 में एक सप्ताह के लिए ट्रेनों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के साथ साथ मांगों को लेकर काला बैज पहना था। 31 अक्टूबर, 2020 को स्टेशन मास्टरों ने एक दिन की भूख हड़ताल भी की लेकिन शांतिपूर्ण विरोध के बाद भी,माँगों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई, इसलिए हम इस तरह की हड़ताल के लिए मजबूर हैं।
दादर रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर ए के पांडे ने बताया कि 11 अगस्त 1997 को हड़ताल में सभी ट्रेनों को सिग्नल पर 2 मिनट के लिए रोक दिया गया था जिसके बाद ट्रेनों के सुचारू संचालन में 3-4 दिन का समय लग गया था, मुंबई मंडल सर्वाधिक प्रभावित हुआ था इसलिए रेलवे बोर्ड को इन मांगों पर विचार कर इस मुद्दे को हल करना चाहिए ताकि इस तरह की परिस्थिति निर्मित नहीं हो। स्टेशन मास्टर का स्थानीय और लंबी दूरी की ट्रेनों के संचालन, जनता से व्यवहार में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, स्टेशन मास्टर के सिग्नल दिए बगैर न तो ट्रेन स्टेशन छोड़ती है, न रुकती है और न ही ट्रैक बदलती है। रेलवे स्टेशन पर सार्वजनिक सुविधाओं, स्टेशन की साफ सफाई और स्टेशन के प्रबंधन की जिम्मेदारी स्टेशन मास्टर पर ही होती है।
वहीं बिहार के लखीसराय में ट्रेन ठहराव को लेकर जारी जनांदोलन के चलते पूर्व मध्य रेलवे और दक्षिण मध्य रेल के कई ट्रेन रूट सोमवार को प्रभावित रहे। दिल्ली हावड़ा रूट के साथ कई रूट्स पर दिल्ली से पूर्वोत्तर जाने वाली ट्रेनें सोमवार को बाधित रहीं। दरअसल, बिहार के लखीसराय में ट्रेन ठहराव की मांग को लेकर बड़हिया स्टेशन पर रेल संघर्ष समिति द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। बिहार में बड़हिया रेलवे स्टेशन पर ट्रैक पर लोग टेंट लगाकर सुंदरकांड का पाठ करते देखे गए। आंदोलनकारी 9 ट्रेनों के ठहराव की मांग पर अड़े हुए हैं, उन्होंने अपनी मांगे माने जाने तक धरने पर बैठने की बात कही, इससे ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप रहा।