भोपाल : मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में आदिवासी समुदाय की स्वास्थ्य सुरक्षा केवल अब एक बड़ा सवाल बनकर रह गई है। हाल ही में मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे।
लेकिन उमरिया जिले में इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने की बजाय झोला छाप डॉक्टर की मनमानी अभी भी जारी है। हाल ही में यह बात सामने आई है कि झोलाछाप डॉक्टर अभी भी जिला मुख्यालय और ग्रामीण क्षेत्रों में अपने क्लिनिक धड़ल्ले से चला रहे हैं।
झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही
यह स्थिति दिन पर दिन चिंता का विषय बनती जा रही है, क्योंकि इन झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज के कारण आदिवासी समुदाय को गंभीर नुकसान हो रहा है। इन डॉक्टरों को दवाई और बीमारी की समझ कम होती है, जिस वजह से कई बार यह लोग अलग बीमारी की अलग दवाइयां दे देते हैं। जिस कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं गंभीर हो जाती है।
आदिवासियों की जान पर बन आई
इन झोलाछाप डॉक्टरों के अस्पतालों की तस्वीर देखकर आप भी हैरान परेशान हो जाएंगे। मरीजों को बोतल चढ़ाना, इंजेक्शन लगाना और दवाइयां देना इनका पेशा बन चुका है। उमरिया के आसपास के गांव में यह दृश्य बेहद आम हो गया है। यहां मरीजों से इलाज के नाम पर पूरी फीस वसूली जाती है। कई बार तो आदिवासियों को जान गवानी भी पड़ती है, जिससे उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
प्रशासन की चुप्पी
इतना ही नहीं इन डॉक्टरों के साथ मिलकर स्वास्थ्य कर्मी भी अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं। जिससे आदिवासी समुदाय की स्वास्थ्य सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। प्रशासन की चुप्पी और स्वास्थ्य अमले की लापरवाही से झोलाछाप डॉक्टरों के कारोबार पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देकर आदिवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा या ऐसे ही मौन बना रहेगा।