भोपाल : देश की सर्वोच्च अदालत ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा की तरफ से दायर मानहानि मामले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित दो अन्य भाजपा नेताओं को राहत देते हुए इन नेताओं के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने पर रोक लगा दी है।
मामले की सुनवाई जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ में हुई, कोर्ट ने याचिका को रद्द करने के एमपी हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली शिवराज सिंह चौहान और अन्य की याचिका पर विवेक तन्खा से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है, कोर्ट ने कहा कि मानहानि मामले में कोर्ट में जारी कार्यवाही में याचिकाकर्ताओं की प्रभावी भागीदारी दो देखते हुए उनके खिलाफ जमानती वारंट की तामील नहीं की जाएगी।
शिवराज सिंह के वकील ने रखा ये तर्क
शिवराज सिंह चौहान और अन्य की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी पेश हुए, उन्होंने कहा कि कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा की तरफ से शिकायत में उल्लेखित कथित बयान सदन के पटल पर दिए गए थे और संविधान के अनुच्छेद 194 (2) के अंतर्गत आते हैं। अनुच्छेद 194 (2) में कहा गया है, किसी राज्य विधानमंडल का कोई भी सदस्य विधानमंडल या उसकी किसी समिति में कही गई किसी बात या दिए गए किसी मत के संबंध में किसी भी न्यायालय में किसी कार्यवाही के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, और कोई भी व्यक्ति ऐसे विधानमंडल के किसी सदन की तरफ से या उसके प्राधिकार के तहत किसी रिपोर्ट, पत्र, मत या कार्यवाही के प्रकाशन के संबंध में ऐसा उत्तरदायी नहीं होगा।
HC ने मानहानि मामले को खारिज करने से किया था इंकार
अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि ऐसा सुनने में नहीं आया है कि किसी समन मामले में कोर्ट की तरफ से जमानती वारंट जारी किया गया हो, जबकि पक्षकार अपने वकील के माध्यम से उपस्थित हो सकते हैं। गौरतलब है कि बीते 25 अक्टूबर को मप्र उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवज सिंह चौहान, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ विवेक तन्खा की तरफ से दर्ज मानहानि के मामले को खारिज करने से इनकार कर दिया था।
20 जनवरी को जबलपुर की विशेष अदालत ने किया था तलब
आपको बता दें कि कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने निचली अदालत में अपनी शिकायत में कहा कि 2021 में राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले इन नेताओं द्वारा मानहानिकारक बयान दिए गए थे। 20 जनवरी 2024 को जबलपुर की एक विशेष अदालत ने तीनों भाजपा नेताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 के तहत मानहानि का मामला दर्ज कर उन्हें अदालत में तलब किया था। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों नेताओं को जमानती वारंट पर राहत तो दी लेकिन साथ ही ये कहा कि तीनों नेता ट्रायल कोर्ट में पेश हों।