भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना पर सवाल उठाए है उन्होंने कहा है, देश की सुरक्षा शासन का पहला दायित्व है और इसमें सेना की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण और अग्रणी है। देश की सेवा और सुरक्षा के लिए भारत की सेना में भर्ती की पिछले 70 साल की व्यवस्था है, सैनिक रिटायरमेंट तक या 14 साल तक देश की सेवा और सुरक्षा करे, भरपूर वेतन और सम्मानजनक रोजगार पाए, फिर सुरक्षित भविष्य के साथ घर जाए। लेकिन सरकार ने सिर्फ रोजगार बढ़ाने के दिखावे के लिए सेना भर्ती की नई व्यवस्था की है, केवल 4 साल अल्प वेतन देने वाली “शॉर्ट टर्म” सैनिक भर्ती व्यवस्था और फिर घर जाइए। यह बेरोजगार युवाओं से धोखा है, देश के गौरव हमारे सैनिकों, जो प्रशिक्षित, सुसज्जित और योग्यता से परिपूर्ण होते हैं, की देश सेवा और जज़्बे का ऐसा कम मूल्यांकन और उससे भी महत्वपूर्ण, हमारे देश की रक्षा के लिए ” शॉर्ट टर्म ” सोच और योजना, अब क्या ऐसी “टेंपरेरी अप्रोच” से भारत भूमि की रक्षा होगी और ऐसे भारत माता के सम्मान की सुरक्षा होगी, असली राष्ट्रभक्ति सामने आ रही है, यह अग्निपथ है या अग्निकुंड है।
अग्निपथ योजना क्या
इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सैनिकों की 4 साल के लिए भर्ती होगी। आर्मी में सैनिक (जवान), नेवी में नाविक और एयरफोर्स में एयरमैन की जो भर्ती है, वो भर्तियां अब इस योजना के तहत होंगी। जो सैनिक भर्ती होंगे, उन्हें अग्निवीर नाम दिया जाएगा। 4 साल के बाद 75 फीसदी सैनिकों को घर भेज दिया जाएगा। शेष 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थायी जवान नियुक्त किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया तय की जाएगी जिसमें ‘अग्निवीर‘ स्थायी होने के लिए आवेदन देंगे।
अग्निपथ योजना से किनकी भर्ती होगी, किनके लिए है यह योजना
अग्निपथ योजना सिर्फ जवानों के लिए है। यह योजना अफसरों पर लागू नहीं होगी। सेवा अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों के लिए यह योजना होगी। नई योजना मौजूदा जवानों की खुली भर्ती की जगह ही लाई गई है। अभी जनरल ड्यूटी के अलावा, क्लर्क, स्टोर कीपर, ट्रेडमैन, नर्सिंग असिस्टेंट जैसे पदों के लिए खुली भर्ती होती है। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में वर्तमान में जवानों की जो भर्ती प्रक्रिया है, वो नहीं बदलेगी। यानी अग्निवीरों का चयन मौजूदा चयन प्रक्रिया से ही होगा। सेनाओं में अभी शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए 10 साल के लिए अफसरों की नियुक्ति होती है जिसे 14 साल तक बढ़ाया जाता है। इस व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है।