आप फिर से फेल हो गए किसान कानून की तरह अग्निवीर योजना में भी, खुद को आंकने का वक्त

जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है… महान कवि रामधारी सिंह दिनकर की रश्मिरथी में इस श्लोक का उपयोग वहां पर किया गया था जब भगवान श्रीकृष्ण धृतराष्ट्र को समझाते हैं कि पांडवों को पांच गांव दे दो, वरना भीषण युद्ध में खून की नदियां बह जाएंगी। वो बार-बार धृतराष्ट्र के सामने महाभारत की आहट को अपने शब्दों से बताना चाहते थे। कृष्ण चाहते थे कि ये युद्ध होने की नौबत न आए वरना भाई-भाई को मारेगा और इतिहास में ये युद्ध महाविनाश के रूप में दर्ज होगा मगर धृतराष्ट्र आंखों से अंधे थे मगर उस वक्त चित्त भी अंधा हो गया। उसका नतीजा हुआ महाभारत…. ये बात यहां पर इसलिए बताई जा रही है कि क्योंकि देश में एक बार फिर हिंसा हो रही है। ट्रेन, बस, नेताओं के घर, पुलिस पर पथराव, आत्महत्या सब कुछ हो रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है बीजेपी सरकार कि असंवेदनशीलता।

गायब है बातचीत का रिश्ता
कहते हैं रिश्तों में अगर बातचीत बंद हो जाए तो कितना भी बेजोड़ रिश्ता हो टूट ही जाता है। पहले मोदी सरकार ने किसान कानून में ये गलती की और अब अग्निवीर योजना में भी गलती कर बैठे। बताया जाता है कि मोदी सरकार में पीएमओ पूरा ताकतवर होता है। मोदी की टीम में ऐसे ऐसे सलाहकार नियुक्त हैं जो हारी हुई बाजी जीतना जानते है। ये बात तो सच है कि ये सरकार चुनाव जीत रही है मगर ये जनता के दिलों से क्यों उतर रही है ? पूरा देश सुलग रहा है। कभी नुपूर कांड से तो कभी अग्निवीर कांड से। ये कांड खत्म नहीं हो रहे और इस देश की दुर्दशा होती जा रही है।

अग्निवीर योजना के बीच किसान कानून की चर्चा क्यों ?
सोशल मीडिया पर दो दिन से अग्निवीर ट्रेंड हो रहा है और इसी बीच बात हो रही है किसान कानून की। जी हां, वही किसान कानून जिसे यूपी चुनावों से ऐन पहले ही मोदी जी ने माफी मांगते हुए वापस ले लिया था। एक साल से भी ऊपर चले इस आंदोलन में दिल्ली-एनसीआर की लाखों जनता हर रोज परेशान हुई। रास्ते, हाइवे बंद होने के कारण लोगों को अस्पताल, रेलवे स्टेशन, नौकरी के लिए दिल्ली जाना दूभर हो गया था। जो दूरी 30 मिनट में पूरी होती थी उसके लिए दो घंटे का समय लगता था और जो पैसा खर्च होता था वो अलग। किसान कानून में भी सरकार ने वही गलती की जो अब की।

क्यों युवाओंसे बातचीत नहीं की ?

कोई भी बिल या कानून लाने से पहले उसकी अच्छाइयों और बुराइयों पर अगर जनता को पहले ही अवगत करा दिया जाए तो शायद आप इस भीषण द्वंद से बच सकते थे। लेकिन मोदी सरकार को लगता है कि हम यानी सरकार जैसा कह देगी ये जनता उसको वैसे ही अपना लेगी। ये सरकार अतिआत्मविश्वास का शिकार हो रही है, जिसको हम लोग ओवर कॉन्फिडेंस कहते हैं। इसी का नतीजा था किसान आंदोलन। जिसमें सैकड़ों किसानों की मौत हो गई। देश-विदेश में सरकार की थू-थू हुई। फिर आखिर में करना वही पड़ा जो पहले ही कर देना था। हम यहां पर सरकार की योजनाओं पर सवाल बिल्कुल नहीं खड़े कर रहे बल्कि ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर इस कानून के बारे में पहले ही बता दिया जाए तो बेहतर होता।

यहां आप कानून थोप नहीं सकते
भारत एक लोकतांत्रिक देश है। इस देश पर आप कोई भी कानून थोप नहीं सकते। ये बात तो सच है कि देश के अधिकतर राज्यों में आपकी सरकारें हैं, लोकसभा और राज्यसभा में आपके पास बहुमत है या फिर राज्यसभा में आप जुगाड़ करके कानून पास करा ही लेते हैं, लेकिन 140 करोड़ जनता का दिल जीतना भी आपका काम है। किसान कानून सरकार का एक बेहतर कानून था। इससे वास्तव में किसानों की बदहाली दूर होती। मगर सरकार इसे समझाने में नाकाम रही। सरकार ने सीधे-सीधे कानून थोप दिया। बाद में अपने मंत्रियों और विधायकों सहित कार्यकर्ताओं को कहा कि आप जाकर किसान कानून की अच्छाइयां बताइये मगर उस वक्त सरकार के हाथ से बहुत कुछ निकल चुका था। आंदोलन चरम पर था। सरकार को घुटने टेकने पड़े। आंदोलनों का इतिहास यहां पुराना है। यहां पर जेपी के आंदोलन में राष्ट्रकवि दुष्यंत की कविता का एक नारा गूंजा था कि सिंघासन खाली करो कि जनता आती है। इंदिरा गांधी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। 2011-12 में दिल्ली के अंदर अन्ना हजारे, बाबा रामदेव का आंदोलन हुआ नतीजा 2014 में कांग्रेस बुरी तरह सत्ता से बेदखल हुई।

आपकी सोच अच्छी हो सकता है मगर तरीका गलत
अग्निवीर योजना भी आपकी बहुत काबिल ए तारीफ है। हाईस्कूल या इंटर पास युवक को आप चार साल फौजी बनाओगे। इस दौरान बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होगा। जब वो 21 साल की उम्र में नौकरी छोड़ेगा तो उसके हाथ में लगभग 11 लाख की रकम होगी। जो अग्निवीर चार वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद बिजनस करना चाहेंगे, उन्हें एकमुश्त मिली रकम से मदद मिलेगी। साथ ही, सरकार उनके लिए सुविधाजनक बैंक लोन की व्यवस्था करेगी। जो रिटायर्ड अग्निवीर आगे पढ़ना चाहेंगे, उन्हें 12वीं कक्षा के बराबर का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। साथ ही, आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिजिंग कोर्स की व्यवस्था की जाएगी। जो वेतन के लिए नौकरी करना चाहेंगे, उन्हें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) और राज्यों के पुलिस बलों में प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, कई अन्य क्षेत्रों में भी उन्हें नौकरी दिलाने में सरकार मदद करती रहेगी। इस योजना से वास्तव में युवाओं का कल्याण होगा मगर बात वही है कि आपने जिनके लिए ये कानून बनाया है उनको पहले समझाया ही नहीं। अब वो फेसबुक, वॉट्सअप, इंस्टाग्राम से गलत जानकारी जुटा रहे हैं और देश में हिंसा का माहौल बना रहे हैं। इसमें गलती उनकी जो है तो है ही मगर इस स्थिति पर लाने की गलती सरकार की है।

हिंसा की आग में झुलस रहे हैं राज्य
इस हिंसा की आग में सबसे पहले बिहार उसके बाद हरियाणा भयंकर रूप से जल रहा है। कई पुलिसकर्मी, अर्धसैनिक बलों के जवान घायल हुए हैं। किसान आंदोलन के दौरान भी इसी तरह के दृश्य हमारे सामने थे। मगर बाद में किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर धरना दिया। एक साल तक वो रोड जाम करके बैठे रहे इस दौरान कोई हिंसात्मक प्रदर्शन नहीं हुआ। नतीजा सामने है एक अच्छी योजना का बंटाधार हो गया। वही काम अब भी हो रहा है। इन युवाओं को विश्वास में लीजिए, इनको बताइये कि इस योजना का मतलब क्या है। सरकार का कहना है कि सरकार ने अग्निपथ योजना के लिए काफी विस्तृत संपर्क अभियान चलाया था। पर्याप्त संख्या में विशेषज्ञों से राय ली थी। सरकार ने सेवारत सैन्य अफसरों से लेकर रिटायर्ड महारथियों से भी बातचीत की गई थी। यह योजना पिछले दो वर्षों में सशस्त्र बलों के अधिकारियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद शुरू की गई है। इसका अग्निपथ स्कीम का प्रस्ताव सैन्य अधिकारियों के विभाग ने तैयार किया है। कई पूर्व सैन्य अफसरों ने योजना की खासियतों को सराहा है। मगर ये सब जनता से दूर क्यों ?

आप फिर से फेल हो गए मोदी जी
हैरत की बात ये है कि जिस वक्त देश में युवा सड़कों पर उग्र प्रदर्शन कर रहे थे उस वक्त देश के प्रधान सेवक हिमाचल में स्वागत का आनंद उठा रहे थे। इसी दौरान हिमाचल में भी प्रदर्शन शुरू हो गए और पीएम मोदी के पोस्टर को फाड़ दिया गया। इसके बहुत सारे वीडियो और मीम्स सोशल मीडिया पर वायरल हैं। अभी भी वक्त है, पीएम मोदी को जनता के सामने आना चाहिए। युवाओं को समझाना चाहिए कि ये कानून भविष्य उज्जवल करने वाला है न की आपको बेरोजगार बनाने का। ये नाजुक वक्त है, आप गोली बंदूक से युवाओं को शांत नहीं करा सकते। मोदी सरकार बनने का सबसे बड़ा योगदान इन्हीं युवाओं का है। मोदी जी आप हर भाषण में इन्हीं युवाओं की संख्या का दंभ भरते हैं। आप कहते हैं कि भारत विश्व गुरु बनेगा तो इन्हीं युवाओं की मेहनत , लगन और जी तोड़ मेहनत से। लेकिन एक बार फिर हम यहां पर कहना चाहते हैं कि आप फेल हो गए किसान कानून की तरह यहां भी।

बिहार में कई जगह हिंसा, ट्रेनों में आग, विधायक पर हमला


बिहार के कई जिलों में प्रदर्शन हिंसक हो गया। कई प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों में आग लगा दी और पथराव किया। हालात काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। नवादा में बीजेपी की विधायक अरुणा देवी की गाड़ी पर प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, जिसमें विधायक सहित पांच लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने रेलवे संपत्ति को ज्यादा नुकसान पहुंचाया। भभुआ और छपरा स्टेशन पर बोगियों में आग लगा दी। कई जगहों पर डिब्बों के शीशे तोड़ दिए। आरा में बड़ी संख्या में गुस्साए युवाओं ने जिला मुख्यालय को घेर लिया। पटना-गया, बरौनी-कटिहार और दानापुर-डीडीयू जैसे ट्रेन रूट प्रभावित हुए। कई गाड़ियां कैंसल करनी पड़ीं। जहानाबाद, बक्सर, कटिहार, सारण, भोजपुर और कैमूर जैसे जिलों में सड़क यातायात बाधित हुआ। यहां पर पथराव की घटनाओं में कई स्थानीय लोग घायल हो गए।

वेस्ट यूपी में विरोध, जाम, प्रदर्शन, आगजनी
अग्निपथ योजना से असंतुष्ट युवा गुरुवार को मेरठ, आगरा, अलीगढ़, फिरोजाबाद में सड़कों पर उतर आए। जगह-जगह जाम लगाए। प्रदर्शन किया। टायरों में आग लगा दी। पुलिस से भिड़ंत भी हुई। कई जगह पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर युवाओं को दौड़ाया। मेरठ में छात्रों ने ऐलान किया है कि अगर तीन दिन में अग्निपथ योजना वापस नहीं ली गई तो वे 20 जून को दिल्ली कूच करेंगे। मथुरा में युवाओं ने आगरा-दिल्ली हाइवे पर जाम लगा दिया। पुलिस ने किसी तरह समझाकर ट्रैफिक दोबारा शुरू करवाया। आगरा में भी अलग-अलग रास्तों को प्रदर्शनकारियों ने बंद कराया। अलीगढ़ में प्रदर्शनकारियों ने बसों की शीशे तोड़े और सड़क पर टायरों में आग लगाई।

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में हाइवे जाम

उत्तराखंड के तमाम जिलों में अग्निपथ स्कीम का विरोध शुरू हुआ। कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर, खटीमा, टनकपुर और बाजपुर में गुरुवार को सैकड़ों युवा सड़क पर उतर आए। पिथौरागढ़ में तो युवाओं ने एनएच को जाम कर दिया। यातायात रुक गया। चंपावत और टनकपुर में युवाओं ने जुलूस निकाला। अल्मोड़ा में सेना की भर्ती में जाने की तैयारी कर रहे युवकों ने शुक्रवार को बड़े पैमाने पर आक्रोश रैली निकालने का ऐलान किया है। युवाओं का कहना है कि 4 साल के लिए सेना में भर्ती उनके साथ धोखा है। सैनिक बहुल उत्तराखंड में लाखों युवा सेना की तैयारी कर रहे हैं।

Leave a Reply