मध्य प्रदेश निकाय चुनाव: निर्दलीय और आप के प्रत्याशी बिगाड़ सकते हैं चुनावी समीकरण, भाजपा-कांग्रेस को लग सकता है झटका ?

मध्य प्रदेश में होने वाला नगरीय निकाय चुनाव 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल बताया जा रहा है। इस चुनाव ने जिसने भी बाजी मार ली उसे आगामी विधानसभा चुनाव में इस जीत का फायदा मिलने की पूरी उम्मीद है। सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियां इस सेमीफाइनल को जीतने में लगी हुई हैं लेकिन इन सबके बीच इन दोनों ही दलों का चुनावी समीकरण आम आदमी पार्टी और बड़ी संख्या में चुनावी मैदान में उतरे निर्दलीय उम्मीदवार बिगाड़ सकते हैं। अभी भोपाल नगर निगम के 85 वॉर्ड में 810 प्रत्याशी मैदान में हैं और ऐसे में बागियों ने फॉर्म वापस नहीं लिया तो कांग्रेस-भाजपा को चुनाव लड़ने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। 

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में पहली बार नगरीय निकाय चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी ने अपने वॉर्ड प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं सात नगर निगम में महापौर प्रत्याशी भी खड़े किए गए हैं। इसके साथ ही चुनाव को लेकर कुछ कमेटियों का गठन भी किया गया है। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कार्यकर्ताओं और दावेदारी करने वाले नेताओं को निर्देश दिए हैं कि टिकट ना मिलने की स्थिति में अपना नामाकंन वापस लें। कांग्रेस ने भी बागियों को मनाने के लिए टीम बना दी है, लेकिन कितनों को मनाने में पार्टियां सफल हुई हैं, यह अब तक स्पष्ठ नहीं हुआ है। 

BJP ने दिया था अल्टिमेटम
जानकारी के अनुसार, भाजपा ने बागियों को नाम वापस लेने के लिए अल्टीमेटम भेजा था और नाम वापस न लेने की स्थिति में छह साल के लिए पार्टी से बाहर करने की चेतावनी दी थी। सूत्रों की मानें तो भाजपा में लगभग 3 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने निर्दलीय नामांकन दाखिल किए हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस में पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कार्यकर्ताओं के नाम अपना संदेश जारी किया था। संदेश में कहा था कि कार्यकर्ता निराश न हों, मैं आपके साथ हूं। दरअसल टिकट के दावेदार रहे कार्यकर्ता टिकट कटने के बाद कई जगहों पर विरोध कर रहे हैं। 


इसके अलावा भोपाल में महापौर के लिए कांग्रेस-भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों के अलावा लगभग 8 निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं। हालांकि अगले कुछ घंटों में प्रत्याशियों की संख्या की स्थिति साफ हो जाएगी, लेकिन बागियों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने फॉर्म वापस नहीं लिए तो कांग्रेस-भाजपा का चुनावी समीकरण बिगड़ जाएगा। 

आपको बता दें कि वर्ष 2015 के नगर निगम चुनाव में पार्षदों के लिए 458 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया था और अभी 810 मैदान में है। पिछले चुनाव में 200 से 2000 वोटों के अंतराल में पार्षदों की जीत-हार हो गई थी। इस लिहाज से अगर 85 वार्डों में इतनी बड़ी संख्या में प्रत्याशी मैदान में डट रहे हैं तो 100 से 500 मतों में ही जीत हार हो जाएगी।

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