इंदौर। बीते कई सालों से हुकुमचंद मिल (Hukumchand Mill) की 42.49 एकड़ की अजब-गजब कहानी चल रही है। शासन, नगर निगम और मिल मजदूरों के साथ-साथ मुंबई डीआरटी (DRT) भी इस कहानी के प्रमुख किरदारों में शामिल है। अब इस कहानी में एक और मोड़ आ गया, जब मुंबई डीआरटी ने जमीन बिक्री की एक और ऑनलाइन जाहिर सूचना का प्रकाशन करवाया है, जिसमें जमीन की कीमत मात्र 385 करोड़ आंकी गई, जिसके चलते 39 करोड़ की राशि बोली के लिए बयाना के रूप में जमा करवाना होगी। दूसरी तरफ इस जमीन के बदले 1679 करोड़ की देनदारी निकाल डाली। यह आंकड़ा देख मिल मजदूर भी भौंचक हैं।
अग्निबाण ने लगातार हुकुमचंद मिल की जमीन को लेकर किए जाते रहे फर्जीवाड़े उजागर किए और पिछले ही दिनों यह खुलासा कर दिया था कि दो हजार करोड़ की जमीन 382 करोड़ में ही निलाम करने के प्रयास मुंबई डीआरटी द्वारा किए जा रहे हैं और इस खबर की पुष्टि भी अभी हो गई, जब मुंबई डीआरटी ने वाकई इस 42.49 एक जमीन की कीमत 385 करोड़ ही आंकी, जबकि भू-उपयोग परिवर्तन के बाद तो इस जमीन की कीमत दो हजार करोड़़ रुपए से अधिक की होती है, क्योंकि बीच शहर में यह जमीन मौजूद है। अभी तो शहर से 10 किलोमीटर दूर तक जमीनों की कीमतें बेतहाशा बढ़ गई हैं। अभी जो ऑनलाइन जमीन नीलामी की घोषणा मुंबई डीआरटी ने प्रकाशित करवाई है, जिसमें 15 जुलाई को जमीन का अवलोकन करवाने और फिर 26 जुलाई तक ऑनलाइन ऑफर जमा करवाने की तिथि तय की है, जिसके लिए 39 करोड़ रुपए की बयाना राशि तय की गई है। यानी बोलीदार को यह राशि पहले जमा करवाना होगी और बोली में वृद्धि भी दो करोड़ रुपए से कम की स्वीकार नहीं की जाएगी। इसमें 974 करोड़ 99 लाख आईडीबीआई बैंक व अन्य के बकाया बताए गए, तो इसी तरह 204 करोड़ 17 लाख मजदूरों की बकाया राशि के अलावा 499 करोड़ 76 लाख रुपए की राशि अन्य देनदारी के रूप में बताई गई। इस तरह कुल 1679 करोड़ की देनदारी के बदले जमीन की कीमत मात्र 385 करोड़ ही आंकी गई है।