मध्यप्रदेश भाजपा और शिवराज सरकार की निगाह अब अरुण यादव पर है। निमाड़ में पकड़ रखने वाले इस नेता को CM शिवराज सिंह चौहान ने खुले मंच से पूछा कि कांग्रेस में तो केवल कमलनाथ का कब्जा है, अरुण भैया वहां क्या कर रहे हो ?.कौन पूछ रहा है तुम्हें. ऐसी ही ऑफरिंग गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी कर चुके हैं। अरुण यादव ऑफर को ठुकराते दिख रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं मामला दोनों पार्टी के अंदरखाने की सुर्खियों में है। जानिए, सिंधिया के बाद आखिर भाजपा की इन पर क्यों नजर है…।
पहले अरुण यादव को जान लीजिए…
- 48 साल के अरुण निमाड़ के सहकारिता नेता और पूर्व डिप्टी CM सुभाष यादव के बड़े बेटे हैं। मूलत: बोरावां के रहने वाले हैं।
- खरगोन में ऑटो मोबाइल शोरूम चलाया। उसके बाद राजनीति में आ गए।
- खंडवा-बुरहानपुर सीट पर भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान को हराकर सांसद बने। मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे।
- मनमोहन सरकार जाने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में कूद गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद भी संभाला। वे 4 साल 3 महीने इस पद पर रहे।
2018 आते-आते शिवराज सरकार का गणित बिगाड़ दिया…
- शिवराज की तीसरी पारी में बड़ी मुश्किल बन प्रदेश अध्यक्ष OBC चेहरे के रूप में कांग्रेस को लीड किया।
- जनवरी 2014 से लेकर चुनावी साल अप्रैल 2018 तक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष यादव, शिवराज सरकार के खिलाफ माहौल बनाते रहे।
- चुनाव से ठीक कुछ महीने पहले उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। कमलनाथ को यहां भेजा गया।
- 2018 में पार्टी ने उन्हें सेफ सीट देने के बजाय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की बुधनी सीट से लड़ाया। वे खुद चुनाव हार गए, लेकिन शिवराज सरकार को हटाकर कांग्रेस सत्ता में आ गई।
भाजपा एक तीर से तीन निशाने साधना चाहती है…
- खंडवा सांसद रहे नंदकुमार चौहान के निधन के बाद निमाड़ में बीजेपी के पास बड़ा चेहरा नहीं है।
- भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में निमाड़ की बड़ी भूमिका मानी जाती है। यहां अधिकतर सीटें पार्टी हार गईं थी।
- सात जिले खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, झाबुआ, आलीराजपुर और धार में 28 में से भाजपा सिर्फ 6 सीटें जीती थीं। कांग्रेस ने 20 और 2 पर निर्दलीय ने कब्जा किया। अरुण यादव के गृह जिले खरगोन में तो भाजपा एक भी सीट नहीं जीती।
- अरुण यादव के जरिए भाजपा OBC, किसान चेहरा, निमाड़ में वापसी और कांग्रेस को कमजोर कर देना चाहती है।
BJP के डोरे डालने के पीछे यह रणनीति
- BJP को लगता है कि हाल में राज्यसभा नहीं भेजकर कांग्रेस ने अरुण यादव से फिर नाइंसाफी की।
- 2018 में चुनाव के ठीक पहले प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाकर कमलनाथ को भेज दिया गया और चुनाव जीतने पर क्रेडिट भी नहीं दिया।
- विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान के सामने झोंक दिया और कमलनाथ सरकार से दूर रखा।
- अरुण यादव खुद कह चुके हैं कि हर बार फसल मैं तैयार करता हूं और काट कोई और ले जाता है। खंडवा उपचुनाव में उनके इस बयान को नाराजगी की तरह देखा गया था।
भाजपा की स्ट्रेटेजी में प्रदेशाध्यक्ष से CM तक
- अरुण यादव के लिए मुख्यमंत्री चौहान, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा तक बयान दे चुके हैं।