भोपाल : मध्यप्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को 3 महीने बाद एक बार फिर महंगाई का करंट लगा है। बिजली वितरण कंपनियों की डिमांड पर मप्र विद्युत नियामक आयोग ने FCA (फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट) में 10 पैसे की बढ़ोतरी कर दी है। जिसके बाद अब उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 6 पैसे की बजाए 16 पैसे FCA देना होगा। यदि आप महीने में 200 यूनिट बिजली जलाते हैं, तो जून की अपेक्षा जुलाई के बिल में 22 रुपए अधिक देने पड़ेंगे। ये दर 1 जुलाई से 30 सितंबर तक के लिए है। हालांकि 100 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं को फिलहाल 100 रुपए ही देने होंगे। क्योंकि इसकी भरपाई सरकार बिजली कंपनियों को सब्सिडी देकर करेगी।
पावर मैनेजमेंट कंपनी की प्रभारी CGM रीता खेत्रपाल के मुताबिक हर तीन महीने में बिजली कंपनियां फ्यूल कास्ट का निर्धारण नियामक आयोग से कराती हैं। बिजली बनाने में कोयला परिवहन और फ्यूल की कीमतों के आधार पर FCA की दर निर्धारित होती है। कंपनियां बिजली दरों के अलावा उपभोक्ताओं से FCA चार्ज भी वसूलती हैं।
एक साल में बढ़ गए 33 पैसे प्रति यूनिट
बिजली कंपनियों ने एक साल में FCA में 33 पैसे की बढ़ोतरी कर दी। साल भर पहले कंपनियां माइनस 17 पैसे फ्यूल कास्ट वसूल रही थीं। अब ये 16 पैसे प्रति यूनिट है। रिटायर्ड मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि बिजली कंपनी ने बिना किसी सूचना के फ्यूल चार्ज बढ़ा दिए हैं। ये एक तरह से उपभोक्ताओं से धोखा है। बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर भार लाद रही हैं।
इससे पहले अप्रैल में बढ़ाया था चार्ज
बिजली कंपनियों ने इसी साल अप्रैल में भी बिजली की दरों में बढ़ोतरी की थी। बिजली की कीमतों में औसतन 2.64 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। इसमें घरेलू बिजली की दरों में 3 से 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।
अब बिजली खपत पर इस तरह देने होंगे अधिक पैसे
खपत | मौजूदा दर पर बिल | नई दर पर बिल | बिल की स्थिति |
50 यूनिट तक | 301 रुपए | 307 रुपए | सब्सिडी के कारण पहले की तरह 50 यूनिट तक 100 रुपए बिल आएगा |
100 यूनिट तक | 637 रुपए | 648 रुपए | सब्सिडी के कारण पहले की तरह 100 यूनिट तक 100 रुपए बिल आएगा |
200 यूनिट तक | 1545 रुपए | 1567 रुपए | कोई सब्सिडी नहीं |
300 यूनिट तक | 2441 रुपए | 2475 रुपए | कोई सब्सिडी नहीं |
क्या होता है FCA
FCA (फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट) यानि ईंधन लागत समायोजन वह राशि है जो बिजली कंपनी ईंधन या कोयले की अलग-अलग कीमत के आधार पर बिल में लागू होने वाली अतिरिक्त राशि होती है। कोयला या ईंधन की कीमत मांग और आपूर्ति के आधार पर हर महीने बदलती है। इसके चलते बिजली उत्पादन की लागत भी बदल जाती है। बिजली उत्पादन कंपनियां इसकी वसूली बिजली वितरण कंपनियों से करती हैं। ये चार्ज उपभोक्ताओं पर लगाया जाता है। टैरिफ साल में एक बार तय होता है। वहीं FCA त्रैमासिक (तीन महीने) पर निर्धारित होता है।