महाकाल मंदिर में बिना टेंडर के हो गया लाखों का निर्माण कार्य, अब जागी मंदिर समिति…

उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में बने महाकाल मंदिर से हाल ही में एक बड़ी खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि बिना टेंडर के ही महाकाल मंदिर में लाखों रुपए का काम करवा दिया जा चुका है। लेकिन इसका खुलासा तब हुआ जब बिल भुगतान लगाया गया। उसके बाद मंदिर प्रशासन की नींद खुली। दरअसल, जब कार्य निर्माण कंपनी ने भुगतान की मांग की तो मंदिर प्रशासन ने बिल पास करवाने पर रोक लगा दी।

जानकारी के मुताबिक, महाकाल मंदिर के निर्माण का कार्य करने वाली कंपनी के भुगतान पर पर ऑडिटर ने रोक लगा दी है। इतना ही नहीं इसके बाद ही कंपनी के सीईओ ने ऑडिटर को आत्मदाह करने की धमकी भी दी है। बताया जा रहा है कि कंपनी और मंदिर प्रशासन के बिच खूब विवाद हुआ। जिसके बाद इस मामले को लेकर डीएम ने जांच के आदेश दिए है।

बता दे, महाकाल मंदिर समिति द्वारा इंदौर की एक कंपनी से मंदिर का निर्माण करवाया गया था। ऐसे में कंपनी ने मंदिर में करीब 44 लाख का कार्य किया। इसका काम जब हुआ तो मंदिर प्रशासन को कंपनी द्वारा बिल दिया गया। लेकिन इस बिल को मंदिर समिति ने पास करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद कंपनी के सीईओ ने खूब हंगामा किया। इतना ही नहीं उसने मंदिर प्रशासन को आत्मदाह करने की धमकी तक दे दी।

जानकारी के अनुसार, मंदिर समिति के गणेश धाकड़ ने बताया है कि बिल अधिक दिया गया है। ऐसे में जो मंदिर का इंजीनियर है उसने सर 17 लाख का ही निर्माण मंदिर में पाया है। इसके अलावा निर्माण की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। इस वजह से आपत्ति लगाई गई है।

बताया जा रहा है कि सिग्निफाई प्रायवेट लिमिटेड में सीइओ भरत पटवा द्वारा बताया गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आने के पहले 15 मई को उनके पास भावना व्यास का कॉल आया था। जिसमें उन्होंने कहा की मंदिर का निर्माण कार्य करना है। इसके लिए पहले उन्होंने कोटेशन लिया उसके बाद कार्य की स्वीकृति दी। आगे उन्होंने बताया कि उन्होंने करीब 44 लाख रुपये का कोटेशन था। उसके बाद ही मंदिर का कार्य शुरू किया। लेकिन अब उनका बिल पास नहीं किया जा रहा है।

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