बेंगलुरू : कर्नाटक में चुनाव करीब आते ही यहां के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के दिन बहुरने लगे हैं। भाजपा ने आगामी चुनाव को देखते हुए जहां एक तरफ उन्हें संसदीय बोर्ड में एंट्री दी है। वहीं दूसरी तरफ शुक्रवार को पीएम मोदी के दौरान जो कुछ देखने को मिला उससे यह स्पष्ट हो गया कि इस प्रदेश में भाजपा का बेड़ा पार लगाने की जिम्मेदारी येदियुरप्पा के कंधे पर ही है। साथ ही इस बात के भी संकेत मिल गए कि बोम्मई का रास्ता अब आसान नहीं रह गया है। शनिवार को येदियुरप्पा ने दावा कि वह सुनिश्वित करेंगे कि आने वाले चुनाव में भाजपा को प्रदेश में बड़ी जीत हासिल हो।
तब किसी कार्यक्रम में नहीं दिखे थे
बीएस येदियुरप्पा शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच शेयर कर रहे थे। यह कुछ महीने पहले के उस नजारे से बिल्कुल अलग था जब योगा डे के दौरान पीएम मोदी ने बेंगलुरू और मैसूर का दौरा किया था। उस वक्त येदियुरप्पा केवल पीएम मोदी को रिसीव करने के लिए एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। इसके बाद पीएम मोदी के किसी भी कार्यक्रम में उन्हें देखा नहीं गया। जबकि पीएम दो दिन तक वहां मौजूद थे। हालांकि शुक्रवार को सिचुएशन पूरी तरह से बदली हुई थी। जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी जब मंगलुरू पहुंचे तो वह येदियुरपा से बेहद आत्मीयता के साथ बात कर रहे थे। यही नहीं, इस दौरान उन्होंने येदियुरप्पा का हाथ भी अपने हाथों में पकड़ रखा था।
अपने साथ रैली स्थल ले गए पीएम मोदी
सूत्रों के मुताबिक इसके बाद येदियुरप्पा ने पीएम मोदी से कहा कि वह रैली के बाद उनसे मुलाकात करेंगे। इस पर पीएम मोदी उन्हें अपने साथ रैली स्थल पर ले गए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि येदियुरप्पा पहली पंक्ति में बैठें। सिर्फ इतना ही नहीं येदियुरप्पा बिना निमंत्रण के ही सरकारी कार्यक्रम में शामिल हुए और सभी प्रोटोकॉल साइडलाइन कर दिए गए। वह राज्यपाल थावर चंद गहलोत के ठीक बगल में बैठे हुए थे। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी की रैली में जब-जब येदियुरप्पा का नाम लिया जा रहा था, वहां पर तालियों की गूंज और तेज हो जाती थी। हालांकि मुख्यमंत्री बसईराज बोम्मई के बोलने के दौरान भीड़ बिल्कुल शांत थी और उनके भाषण पर भी ध्यान नहीं दे रही थी।