भोपाल: एमपी में बच्चों को फ्री में दिए जाने वाले भोजन योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। एमपी के एजी ने मध्याह्न भोजान और बच्चों के लिए मुफ्त भोजन योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा किया है। ऑडिट में पाया गया है कि लाभार्थियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई थी। साथ ही स्कूटर, बाइक और ऑटो को ट्रक के रूप में सूचीबद्ध कर दिया गया, जिससे माल को ढोया गया है। बिहार के चारा घोटाले में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। एजी ने राज्य सरकार मुख्य सचिव को कथित घोटाले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने को कहा है। साथ ही अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने को कहा है। एजी की रिपोर्ट में यह गड़बड़ी महिला एवं बाल विकास विभाग में हुई है। यह विभाग सीएम शिवराज सिंह चौहान के अधीन है।
एजी की गोपनीय रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि ट्रकों की जगह पर बाइक और स्कूटर के नंबर लिखवाए गए हैं। साथ ही इन योजनाओं के लाभ पाने वाले लभार्थियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। ऑडिट रिपोर्ट में लाभार्थियों की पहचान, उत्पादन, परिवहन वितरण और टेक-होम राशन के गुणवत्ता के नियंत्रण में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई है। गड़बड़ियों के बाद एक आईटी प्रणाली विकसित करने के सुझाव दिए गए हैं। साथ ही बेहतर तरीके से निगरानी के सुझावएजी ने दिए हैं।
राज्य सरकार ने दी है सफाई
गड़बड़ियों के खुलासे के बाद राज्य सरकार ने आधी रात को सफाई दी है। इसमें लिपिकीय त्रुटियों को दोषी ठहराया है और कहा कि सीएम के निर्देश पर सुधारात्मक उपाय पहले ही किए जा चुके हैं। वहीं, टीएचआर के तहत छह से 36 महीने के बच्चों और गर्भवती/स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पौष्टिक भोजन का वितरण किया जाता है। एजी रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने 2018-2021 तक सभी श्रेणियों के 1.34 करोड़ लाभार्थियों को वितरित करने के लिए 4.05 मीट्रिक टन टीएचआर (टेक होम राशन) की खरीद के लिए 2393 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
यहां हुई गड़बड़ी
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-19 में स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूल से बाहर किशोर लड़कियों की संख्या 9,000 होने का अनुमान लगाया था लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग ने बिना कोई आधारभूत सर्वेक्षण किए उनकी संख्या 36.08 लाख होने का अनुमान लगाया था। ऑडिट में 2018-21 के दौरान डेटा हेरफेर के स्पष्ट संकेत मिले, जिससे 110.83 करोड़ रुपये के टीएचआर का नकली वितरण हुआ है। इसके साथ एजी के ऑडिटरों को 821.8 मीट्रिक टन टीएचआर की नकली आपूर्ति का भी संदेह है, जिसकी कीमत 4.95 करोड़ रुपये है। इसके साथ ही 2.96 करोड़ रुपये मूल्य के 479.4 मीट्रिक टन टीएचआर को उन ट्रकों पर ले जाया गया जो मौजूद ही नहीं हैं।
देर रात सरकारी सफाई में कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के पहले ही सुधारात्मक उपाय कर चुका है। किशोर लड़कियों का सर्वेक्षण फिर से किया गया और लाभार्थियों की संख्या 2018-19 में 2.6 लाख से घटकर 2020-21 में 1.28 लाख हो गई। 2021 में केवल 15,000 ही बचे हैं। यह विभाग के मंत्री के रूप में सीएम के निर्देश पर किया गया था। इसमें कहा गया कि 2022-23 में केवल 8600 लड़कियां ही इस श्रेणी में मिली हैं। इसमें कहा गया है कि ओओएसएजी पर आधारभूत सर्वेक्षण किया गया और केंद्र को आंकड़े सौंपे गए। सभी लाभार्थियों के नाम और आधार का सत्यापन किया जा रहा है।
इसके साथ ही कहा गया है कि टीएचआर के उत्पादन और उपयोग की निगरानी न्यूट्रिशन ट्रैकर ऐप और संपर्क ऐप के माध्यम से की जा रही है। इससे पारदर्शिता आई है।
लिपिकीय त्रुटि बता रही सरकार
वहीं, माल की ढुलाई के लिए जिन गाड़ियों को ट्रक बताया गया है, वह बाइक और ऑटो के नंबर हैं। सरकार इसके लिए लिपिकीय त्रुटि को जिम्मेदार बता रही है। एमपी एग्रो की जांच में पाया गया कि एमपी जीएफ 9139 को एमपी-04 और एमपी 09 एचजी 9555 को 9559 के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। वहीं, घटिया राशन पर सरकार ने कहा है कि इसे प्रयोगशाला में भेजा गया था, जांच में गड़बड़ी मिलने के बाद भुगतान में 15 फीसदी या 38 करोड़ रुपये काटे गए हैं।