भोपाल : मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा सरकार और संगठन का जोर अब असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने पर है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 51 फीसदी वोट का टारगेट रखा है। इसलिए पार्टी की कोशिश है कि नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी और मनमुटाव को हर हाल में दूर किया जाए।
दरअसल संगठन की ओर से सभी को साफ संदेश दिया गया है कि पुरानी बातें भूल एकजुट होकर मिशन 2023 के लिए जुटना होगा। अपनी ही सरकार में तवज्जो न मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं को भी संतुष्ट करने की रणनीति बनाई गई है। नेताओं और कार्यकर्ताओं को नाराजगी दूर करने के लिए नौकरशाही की मनमानी पर भी अंकुश लगाया जाएगा।
बता दें कि पंचायत और निकाय चुनाव के दौरान कई क्षेत्रों में भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी देख पार्टी संगठन चिंतित हो गया है। 2023 विधानसभा चुनाव के पहले कार्यकर्ताओं की मान मनौव्वल की कवायद भी शुरू की गई है। ग्राम पंचायत स्तर पर ऑन द स्पॉट समस्या सुलझाने जो मंत्री समूह पहुंचेगा उसे भी कार्यकर्ताओं को खुश करने का टास्क सौंपा जा रहा है।
हाल ही में हुई बैठक में मिले फीडबैक के बाद संगठन ने कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की कवायद शुरू की है। निगम, आयोग, बोर्ड और समितियों में नियुक्ति के साथ कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की भी कवायद शुरू की जा रही है। इसके साथ ही मंत्रियों को अपने प्रभार वाले जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं से संवाद कर संतुष्ट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
भाजपा संगठन ने चुनाव से पहले जमीनी स्तर पर किसी भी प्रकार की संवादहीनता, विवाद या मनमुटाव को समाप्त करने सभी प्रमुख व प्रभावशाली नेताओं को एक सूत्र में पिरोने की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से मंत्री समूह के दो दो सदस्य सभी जिलों में हितग्राहियों को योजना का लाभ दिलाने पहुंचेंगे और साथ ही समस्याओं का समाधान भी करेंगे।
वहीं संगठन की ओर से इन मंत्रियों को भी कार्यकर्ताओं की खैर खबर लेने और उन्हें खुश रखने को कहा गया है। संगठन ने ये भी संकेत दिए हैं कि जिन जिलों में कामकाज को लेकर ज्यादा शिकायतें मिली है, वहां जिलाध्यक्ष को बदला जा सकता हैं। और बताया है कि सभी बागी और भितरघाती कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट पार्टी मुख्यालय पहुंच गई है।
जानकारी के अनुसार निकाय चुनाव के दौरान भाजपा को 16 नगर निगमों के महापौर चुनाव में 7 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। साथ ही 2-3 नगर निगम से संगठन कार्यकर्ताओं के बारे में पार्टी को जो फीडबैक मिला है उससे भी गुटबाजी और उसके असंतोष का ब्यौरा सामने आया है। इससे संगठन के स्तर पर सभी जिलों में क्राइसिस मैनेजमेंट की कवायद शुरू की गई है।