भोपाल । 15 अगस्त से पहले एक बार फिर से मध्य प्रदेश को बड़ी सौगात मिली है। दरअसल महत्वाकांक्षी अटल प्रगति पथ के नवीन प्रस्तावित मार्ग को स्वीकृति दी जा चुकी है। इसकी मंजूरी मिलते ही बीहड़ और जंगल के अधिकांश हिस्से बाहर हो जाएंगे। वही इसकी लागत भी 275 करोड़ घटकर 9581 करोड़ हो गई है। वही चंबल एक्सप्रेस वे के प्रस्तावित मार्ग की लंबाई में 6 किलोमीटर की कमी देखने को भी मिली है। दरअसल अटल प्रगति पथ चंबल क्षेत्र में प्रगति के नवीन विकल्प लेकर आ रहा है।
इस कारण से चंबल के विकास के लिए कई प्रस्तावित योजना तैयार की गई थी। इसी संबंध में 6 अगस्त को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की थी। अब नवीन प्रस्तावित मार्ग को स्वीकृति मिलने के साथ ही चंबल के विकास का भी रास्ता साफ हो गया है। श्योपुर मुरैना सहित भिंड की 162 की जगह 204 गांव से होकर गुजरने वाले अटल एक्सप्रेसवे से रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे।
बता दें कि इससे पहले 186 किलोमीटर बीहड़ के हिस्से में आ रहा था, जो घटकर मात्र 13 किलोमीटर रह गया है। वहीं वन भूमि के संरक्षण का भी रास्ता साफ हुआ। बता दें कि इससे पहले वन भूमि 403 हेक्टेयर कम हो रही थी। वही नवीन प्रस्तावित मार्ग के बाद अब महज 12.74 हेक्टेयर वन भूमि प्रभावित होगी।
इतना ही नहीं निजी भूमि के अधिग्रहण पर सरकार द्वारा ₹623 करोड़ मुआवजे के रूप में वितरित किए जाएंगे। बता दे कि अटल प्रोग्रेस वे परियोजना के द्वारा ने बीहड़ और जंगल प्रभावित हो रहे थे। जिसके बाद पर्यावरण मंत्रालय ने इस पर आपत्ति दर्ज की थी। जिसको देखते हुए अटल प्रोग्रेस वे के पूर्व स्वीकृत मार्ग की जगह नया प्रस्ताव तैयार किया गया था। वही नए प्रस्ताव में भिंड जिले के 170 हेक्टेयर की जगह महज12.44 क्षेत्र प्रभावित होंगे। साथ ही वन्य प्राणी क्षेत्र भी काफी हद तक परियोजना से बाहर हो गए हैं। इतना ही नहीं नए प्रस्ताव में श्योपुर और मुरैना जिले के 226 हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल नहीं किया जाएगा।
बीहड़ का 93% हिस्सा अटल प्रगति पथ में नहीं आएगा। जिसके कारण अब निजी भूमि का अधिग्रहण अधिक करना होगा। इसके लिए सरकार द्वारा मुआवजा वितरित किया जाएगा। साथ ही परियोजना के नए प्रस्ताव के कारण मुरैना में 62 से बढ़कर 106 जबकि श्योपुर जिले में 63 की जगह 58, भिंड जिले में 37 की जगह 40 गांव परियोजना के दायरे में शामिल होंगे। नए प्रस्तावित मार्ग की वजह से अब सरकार को भूमि अधिग्रहण के लिए 350 करोड़ रुपए की जगह 623 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
मामले में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई का कहना है कि परियोजना को लेकर आपत्तियों को दूर कर लिया गया है। टर्म ऑफ रिफरेंस विकृत होने के बाद अब किसी भी तरह की अड़चन सामने नहीं है। चंबल नदी से 2 किलोमीटर दूर होने के कारण अभी प्रस्ताव कई गुना ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। साथ ही बीहड़ जंगल के हिस्से को परियोजना से बाहर कर दिया गया है। हालांकि निजी भूमि ग्रहण अधिक होंगे। जिसके लिए 15 नवंबर 2022 तक आदेश जारी किए जाएंगे।
अटल प्रोग्रेस के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एमपी के चंबल क्षेत्र की आर्थिक प्रगति के लिए उठाया गया था। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने भारतमाला परियोजना से अटल प्रोग्रेस वे को जोड़ा था। जिसके कारण युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही चंबल क्षेत्र के आर्थिक विकास और एमपी राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई गांव को इससे आसानी से जुड़ा जा सकेगा। जिससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कई पीढ़ी और लोग लाभान्वित होंगे।