नई दिल्ली : अडानी-हिंडनबर्ग मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। साथ ही जांच के लिए सेवानिवृत न्यायधीश एएम सप्रे की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के आदेश भी दिए हैं। जो अडानी ग्रुप पर लगे कथित आरोपों की जांच करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी से दो महीने के भीतर लिफ़ाफ़े में रिपोर्ट की मांग भी की गई है। डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यायक्षता वाली बेंच द्वारा इस मामले में निर्देश जारी किया है। साथ ही SEBI से भी इस मामले में जांच के स्टेटस की रिपोर्ट मांगी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा
24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों पर स्टॉक्स में हेराफेरी और अकाउंटिंग में गड़बड़ी करने के आरोप लगाए थे। 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के प्रभाव संबंधित कई पीआईएल पर अपना फैसला भी सुरक्षित कर लिया था। आदेश जारी करते हुए डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक रेगुलेटरी मैकेनिज़्म पर ध्यान देने के लिए के लिए एक कमेटी की जरूरत है।”
कमेटी का कार्य और मेम्बर
सेवानिवृत न्यायधीश एएम सप्रे के अलावा कमेटी में कई अन्य मेम्बर भी होंगे। जिसमें प्रतिष्ठित बैंक ओपी भट्ट, टेक्नोलॉजी सेक्टर एक्सपर्ट नंदन नीलेकनी, केवी कामत और सोमशेखर सुंदरेशन भी शामिल हैं। पैनल अडानी-हिंडनबर्ग मामले के कारण और मार्केट पर इसके असर पर जांच करेंगी। निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपायों पर सुझाव भी देगा।