आखिर मध्य प्रदेश के इंदौरी पोहे में ऐसी क्या बात है ?

इंदौर में पोहे को लेकर लोगों की इतनी दीवानगी है कि लोग यहां पर रात में भी पोहा खाने चले आते हैं. दरअसल, इंदौर के सरवटे बस स्टैंड की चाय और पोहा बहुत मशहूर है. खास बात यह कि यह रात में भी मिलता है. जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं और पसंद भी करते हैं.

इंदौर में पोहे का इतिहास

वैसे तो पोहा सबसे पहले महाराष्ट्र में खाया गया, लेकिन होल्कर और सिंधिया वंश के महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश आने के साथ ही पोहा भी यहां आया और यहीं का बनकर रह गया। यह भी कहा जाता है कि इंदौर में पोहा देश की आजादी के करीब दो साल बाद 1949-1950 में आया। महाराष्ट्र के रायगढ़ के पुरुषोत्तम जोशी अपने रिश्तेदार के यहां इंदौर आए। उस दौरान जोशी के मन में पोहे की दुकान खोलने का विचार आया। पोहे की दुकान खुलते ही यहां के लोगों को पोहा इतना भाया कि यह इंदौर की पहचान बन गया।

आज इंदौर आने वाले पर्यटक भी इससे दूर नहीं रह पाते हैं और बड़े ही चाव से पोहे-जलेबी का आनंद लेते हैं। इंदौरी पोहे के साथ वहां की नमकीन, जीरावन और जलेबी प्रसिद्द है। इंदौर में पोहा खाने वालों के लिए यह चौबीस घंटे बिकता है। इंदौर के रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, दुकानें और होटलों के साथ-साथ हर गली नुक्कड़ और चौराहे पर पोहा मिलता है।