ये किस्सा है साल १९८९ में आयी अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘मैं आज़ाद हूं’ का, जिसका निर्देशन टीनू आनंद ने किया था। उस समय इस फिल्म की शूटिंग गुजरात के राजकोट में हो रही थी। शूटिंग का सीन फिल्म का क्लाइमेक्स था जिसके लिए उन्हें बहुत सारी भीड़ की जरुरत थी। सबके लिए एक सवाल खड़ा हो गया था कि इतनी सारी भीड़ आखिर कैसे इकठ्ठा की जाए और अगर कर लिए गया तो उन्हें संभाला कैसे जाए?
फिल्म में अभिनय करने वाले अमिताभ बच्चन साहब के दिमाग में एक खुराफाती आइडिया आया। उन्होंने अपने फिल्म निर्माता से कहा कि क्यों न हम अखबार में एक विज्ञापन दे दें और किसी जगह का पता देकर ये बताएं कि यहां अमिताभ बच्चन का एक शो रखा है, जिसमें लोगों को अमिताभ बच्चन को देखने का मौका मिलेगा।
इस सुझाव पर अमल करते हुए अखबार में विज्ञापन दिया गया और राजकोट के क्रिकेट स्टेडियम का पता दिया गया। इनकी सोच थी कि तक़रीबन 10 से 15 हजार लोग तो जमा हो जाएंगे, लेकिन परिणाम इनकी सोच से कई ज्यादा निकला। दिए गए पते और समय पर अमिताभ बच्चन को देखने के लिए करीब 50 हजार से भी ज्यादा लोग इकठ्ठा हो चुके थे।
भीड़ तो जमा हो गयी, मगर अब इस भीड़ को संभाले कैसे? ये सवाल इन लोगों को सताने लगे। स्टेडियम में खड़ी भीड़ बेचैनी से इंतज़ार कर रही थी। ऐसे में अमिताभ बच्चन ने माइक पकड़ा और भीड़ के सामने आ गए और अपनी आवाज़ में ‘इतने बाजू इतने सर गिन ले दुश्मन ध्यान से’ गीत एक्शन के साथ गाने लगे और भीड़ को भी अपने पीछे गाने के लिए कहा।
कैफ़ी आज़मी साहब के लिखे इस गीत ने लोगों के दिलों को छू लिया और लोग अमिताभ के साथ इस गीत को गाने लगे। ऐसे में फिल्म के निर्देशक टीनू आनंद ने अपना कैमरा शुरू किया और सीन शूट करने लगे। इस तरह अमिताभ बच्चन को महज देखने उमड़ी भीड़ की वजह से फिल्म ‘मैं आज़ाद हूं’ का क्लाइमेक्स शूट किया गया।