ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधव राव सिंधिया की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती थी। वहीं, उनकी मां विजयाराजे सिंधिया विरोधी भारतीय जनता पार्टी की बड़ी नेता थीं। मां और बेटे के बीच राजनीतिक मतभेद समय के साथ गहरे हो गए थे। इसी का नतीजा था कि एक बार राजमाता विजयाराजे सिंधिया परिवार की कीमती चीज वापस पाने के लिए बेटे के खिलाफ ही धरने पर बैठ गई थीं।
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राशिद किदवई ने अपनी किताब ‘द हाउस ऑफ सिंधियाज: ए सागा ऑफ पावर, पॉलिटिक्स एंड इंट्रिग’ में इसका विस्तार से जिक्र किया है। किदवई लिखते हैं, माधव राव और विजयाराजे के बीच मतभेद का एक कारण छोटा-सा शिवलिंग भी था। वह शिवलिंग आकार में बेहद छोटा था, लेकिन वह परिवार के लिए बेशकीमती है। सिंधिया परिवार में शिवलिंग खुशकिस्मत होने की निशानी है।
राशिद किदवई आगे बताते हैं, सिंधिया परिवार ऐसा मानता है कि जिसके पास भी वो शिवलिंग होगा उसे किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। महादजी सिंधिया तो अपने ताज में उसे लगाकर रखते थे और इसे जीत की निशानी समझी जाती थी। माधव राव सिंधिया और विजयाराजे सिंधिया के बीच जब आपस में झगड़े शुरू हुए तो राजमाता ने शिवलिंग वापस मांगा। माधव ने शिवलिंग देने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि परिवार की कुल वधु माधवी राजे हैं। इसलिए उनका हक बनता है कि वो उसकी पूजा-अर्चना करें।
मां से क्यों थे माधव राव के मतभेद: बकौल किदवई, राजमाता को ये बात नागवार गुजरी। विजयाराजे सिंधिया अपने बेटे के खिलाफ ही उस शिवलिंग को पाने के लिए धरने पर बैठ गईं। इसको लेकर परिवार में बहुत अजीब स्थिति पैदा हो गई। माधव राव ने अपनी पत्नी माधवी राजे सिंधिया से कहा कि आप शिवलिंग को वापस कर दें। ऐसा कोई पहली बार नहीं था जब मां-बेटे के बीच तकरार साफ नज़र आई थी। कई मौकों पर दोनों खुलकर एक-दूसरे का विरोध करते थे।