ज्योतिरादित्य सिंधिया जिन्होंने कुर्सी की चाह गद्दारी कर मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिरा दिया था. ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन उनकी जगह कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया गया तो ये बात उन्हें रास नहीं आयी और चंद पैसों के लिये अपना जमीर बेच कर दूसरी पार्टी ज्वाइन कर ली.
आइये आपको बताते हैं की आखिर क्यों ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया था –
बीते 16 साल में वे पांच बार लोकसभा के सांसद चुने जा चुके हैं और मनमोहन सिंह सरकार में सात साल तक सूचना एवं प्रौद्योगिकी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के जूनियर मिनिस्टर रह चुके हैं, इसके बाद 2012 से 2014 तक वे बिजली मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री भी रहे.
ऐेसे में 47 साल के ज्योतिरादित्य सिंधिया को सामने रखकर पार्टी राज्य में युवा नेतृत्व को आगे बढ़ा सकती थी लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया को अभी इंतज़ार करना होगा, इसका संकेत राहुल गांधी ने बहुत पहले ही दे दिया था.
मध्य प्रदेश के मंदसौर में जून, 2018 में अपनी चुनावी रैली में उन्होंने कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में कहा था- हम लोगों के पास कमलनाथ जी मौजूद हैं, उनका अनुभव हमारे काम आएगा. अच्छी बात ये भी है कि युवा ज्योतिरादित्य भी हैं जो भविष्य हैं. हमारे पास वर्तमान और भविष्य दोनों हैं.
अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया इंतज़ार करते तो भविष्य में मुख्यमंत्री वही होते. अब ठीक उसी प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की नज़र शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी पर हैं. भाई सौ टके की एक बात कुर्सी के लिये हमारे महाराज किसी भी हद तक जा सकते हैं.