शिवराज सरकार को हम घोटालों की सरकार भी कह सकते हैं जी हाँ मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले के बाद अब एक और बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसने शिवराज सरकार की नींद उड़ा दी है। बताया जा रहा है कि यह घोटाला तीन हजार करोड़ रुपये का है। ई-टेंडर घोटाले के तहत सरकार पर कुछ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप है।
जानकारी के मुताबिक, ऑनलाइन प्रक्रिया में छेड़छाड़ कर इस बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया है। आशंका है कि यह घोटाला कई सालों से चल रहा था, जिसका खुलासा अब हुआ है।
बताया जा रहा है कि जो अधिकारी इस घोटाले की जांच कर रहा था, उसे जांच से हटाकर किसी और अधिकारी को यह सौंप दी गई है। इससे निष्पक्ष जांच पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन उस ऑनलाइन पोर्टल को चलाता है, जिससे छेड़छाड़ की गई है। इसके बाद विभाग के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष रस्तोगी ने इसकी जांच कराई, जिसमें पता चला कि तीनों कॉन्ट्रैक्ट की नीलामी प्रक्रिया को बदल दिया था। इन तीनों कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 2,322 करोड़ रुपये थी। जांच में खुलासा हुआ कि टेंडर लेने वाली कंपनियों ने पहले ही अंदर के लोगों की मदद से दूसरी कंपनियों की बोलियों को देख लिया था, जिसके आधार पर उन्होंने टेंडर को अपने नाम कर लिया।
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि मनीष रस्तोगी की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद अचानक उन्हें साइंस एंड आईटी के अतिरिक्त चार्ज से हटा दिया गया और उनकी जगह प्रमोद अग्रवाल को चार्ज दे दिया गया। मनीष रस्तोगी को इस तरह से अचानक हटाना और उनकी जगह दूसरे अधिकारी को चार्ज सौंपना गंभीर सवाल खड़े करता है।