Agnipath Scheme: पहले आई थी शहंशाह, फिर अग्निपथ और बाद में कोहराम…अमिताभ के फिल्मों के जरिए जयंत का केंद्र पर निशाना

अग्निपथ योजना के जरिए युवाओं और उनके अभिभावकों को साधने की कोशिश खूब हो रही है। केंद्र सरकार की ओर से भारतीय सेना में भर्ती के लिए लाई गई इस स्कीम पर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है। सोमवार को विपक्षी दलों की ओर से भारत बंद का आयोजन किया गया। युवाओं के सेना भर्ती की नई योजना के खिलाफ आंदोलन को राजनीतिक दलों ने जैसे ही अपने तरफ लाने की कोशिश की, तमाम राजनीतिक दलों में इस पर हक जमाने की कोशिशें खूब हो रही हैं। राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधी ने इस मामले में बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन की फिल्मों के जरिए हमला बोला है।

राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख लगातार अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे हैं। वहीं, दिल्ली में कांग्रेसी नेताओं का विरोध प्रदर्शन चल रहा है। कांग्रेस के सीनियर नेता सुबोधकांत सहाय ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान ऐसे शब्दों का प्रयोग किया, जिस पर पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई है। वहीं, इस चर्चा के बीच जयंत चौधरी का अलग ही अंदाज में हमला सामने आया है। उन्होंने अग्निपथ योजना को फिल्मी करार दे दिया है। अब इस पर बहस शुरू हो गई है।
ध्यान से रखते फिल्मी नाम
जयंत चौधरी ने ट्वीट के जरिए एक बार फिर अग्निपथ योजना पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जब नाम फिल्मी ही रखने हैं तो फिर ध्यान से। इसके बाद जयंत चौधरी ने सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की फिल्मों के माध्यम से अग्निपथ स्कीम की तुलना की। उन्होंने लिखा कि वर्ष 1990 में अमिताभ बच्चन की फिल्म अग्निपथ आई थी। इससे पहले वर्ष 1988 में शहंशाह आई थी और बाद में र्ष 1999 में कोहराम भी।

जयंत चौधरी ने फिल्मी नामों के जरिए अग्निपथ के आगे और पीछे के भावार्थों को समझाने का प्रयास किया है। वे योजना को शहंशाह के स्तर पर लिए गए फैसले के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करते दिख रहे हैं। इसके खिलाफ कोहराम मचने को भी वे अपने इस ट्वीट से जस्टिफाई करते दिखाई दे रहे हैं।

वायु सेना भर्ती पर भी उठाए सवाल
जयंत चौधरी ने वायु सेना भर्ती मसले पर भी सवाल उठाए। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना 2020 की भर्ती भी सवालों के घेरे में है। सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अभ्यर्थियों को बताया गया कि कोरोना के कारण चयन प्रक्रिया को पूरी किए जाने में विलंब है। चुनाव और भाषण नहीं रुके। व्यापार और उद्योग में बहुत लोगों ने नोट छापे। आज उन नौजवानों को बताया जा रहा है कि उनकी भर्ती रद्द है।

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