नई दिल्ली: बांद्रा का पाली हिल। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के पॉश इलाकों में एक है। बात कुछ महीने पहले की है। यहां एक प्रॉपर्टी पर तमाम दिग्गज बिल्डरों की नजर गड़ी थी। जमीन रिलांयस पावर की थी। माना जाता है कि इस पर उद्योगपति अनिल अंबानी के सपनों का नया आशियाना बनना है। एक अधूरा टावर बनकर खड़ा भी हो गया है। पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस ने इस टावर और 1.4 एकड़ प्लॉट को नीलामी के लिए रखा था। हालांकि, बाद में इस पर आगे कदम नहीं बढ़ाए गए।
बिल्डरों को निजी तौर पर बताया गया कि यह प्रॉपर्टी बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है। आखिर क्या हुआ? मार्केट से यह प्रॉपर्टी खींच लेने वाले थे पीरामल ग्रुप के चेयरमैन अजय पीरामल। रियल्टी इंडस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि इसे पारिवारिक मसला बताकर ऐसा किया गया। पीरामल के बेटे का नाम आनंद है। अनिल अंबानी के बड़े भाई और दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी की बेटी ईशा आनंद की पत्नी हैं।
कहानी की शुरुआत इस साल के शुरू से होती है। पीरामल कैपिटल ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का दरवाजा खटखटाया था। इनसॉल्वेंसी और बैंक्रप्सी कोड, 2016 के सेक्शन 7 के तहत रिलायंस पावर के खिलाफ अर्जी डाली गई थी। मामला 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन डिफॉल्ट का था।
कैसे क्या हुआ?
रिलायंस पावर और उसकी सहायक कंपनी रिलायंस नैचुरल रिसोर्सेज ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (DHFL) से लोन लिया था। बाद में पीरामल ग्रुप ने डीएचएफएल को खरीद लिया था। 2021 में यह सौदा 34,250 करोड़ रुपये में हुआ था। इस तरह डीएचएफएल का विलय पीरामल कैपिटल में हो गया था।
डीएचएफएल दीवालिया हो गई थी। उस पर बकायेदारों का 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था। इनमें बैंक, म्यूचुअल फंड और इंडिविजुअल निवेश शामिल थे। पैसा वसूलने के लिए पाली हिल में अनिल अंबानी टावर को नीलामी के लिए रखा गया था। हालांकि, 13 जुलाई को एनसीएलटी की मुंबई बेंच में एक बात सामने आई। केस की सुनवाई के दौरान पीरामल फाइनेंस और रिलायंस पावर ने बताया कि वे मामले को निपटाने की कोशिश कर रहे हैं। दो सदस्यीय बेंच ने इस बाबत आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से अनुरोध किया है। उन्होंने छह हफ्तों का समय मांगा है। इसमें क्लेम को सेटेल करने की बात कही गई है। इस मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर 2022 को मुकर्रर है। अगली तारीख तक दोनों पक्षों को विवाद निपटा लेना है। इसमें अगली तारीख नहीं देने की बात कही गई है।
एक दशक पहले बनना शुरू हुआ था घर
पाली हिल टावर के कंस्ट्रक्शन की शुरुआत एक दशक पहले हुई थी। लेकिन, कुछ साल पहले काम रुक गया था। सच तो यह है कि पाली हिल के रहने वाले बताते हैं कि प्रोजेक्ट साइट लंबे समय से वीरान पड़ी है। यहां किसी तरह की कोई गतिविधि नहीं हो रही है। कभी यह बॉम्बे सबर्बन इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई (बीएसईएस) के चेयरमैन का आधिकारिक बंग्ला था। 2000 में रिलायंस ने बीएसईएस का अधिग्रहण कर लिया। यह शानदार बंग्ला भी उसके अंदर आ गया। 2005 में जब अंबानी बंधु का बंटवारा हुआ तो अनिल अंबानी को पावर बिजनेस मिला। इसी के साथ पाली हिल प्लॉट भी उन्हीं के हिस्से में आ गया।
अपनों ने बिकने से बचा लिया
कुछ महीने पहले प्रॉपर्टी मार्केट में एक खबर फैली थी। इसमें कहा गया था कि एक कंस्ट्रक्शन ग्रुप ने अधूरे टावर को खरीदने का सौदा करीब-करीब पूरा कर लिया है। इसके साथ जमीन भी खरीदी जानी थी। यह सौदा 800 करोड़ रुपये में होना था। हालांकि, सौदा परवान नहीं चढ़ा। कुछ और बिल्डरों ने भी पीरामल ग्रुप से संपर्क किया। यह और बात है कि उन्हें कह दिया गया कि प्रॉपर्टी बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है। उपलब्ध बिल्डिंग प्लान के मुताबिक, पहले पांच लेवल फैसिलिटी मैनेजमेंट, एजेंटों के डॉर्म, स्टोरेज, सिक्योरिटी, ड्राइवर एरिया इत्यादि के लिए हैं। इसमें इलेक्ट्रिकल रूम, जिम और किचन भी है। ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर में पूजा एरिया है। बिल्डिंग में एडमिन हॉल, एंट्रेंस लॉबी और क्लबहाउस भी है। दूसरे फ्लोर से 11वें फ्लोर तक रहने के लिए बनाया जाना है।